गरीबों के सामने नकली खाना रखकर खींची तस्वीरें, वर्ल्ड प्रेस के फोटोग्राफर की हो रही आलोचना
नई दिल्ली : वर्ल्ड प्रेस द्वारा पोस्ट की गई एक फोटो सीरीज पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट पर आलोचना का मुद्दा बनी हुई है। ‘ड्रीमिंग फूड’ नाम की इस सीरीज में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गरीबी की हालत को दिखाया गया है। इस फोटो में दो बच्चे और एक महिला के सामने मेज पर खाने का सामान रखा हुआ है और इन्होंने अपने दोनों हाथों से आंखों को ढक रखा है, लेकिन सबसे दुखद यह है कि जडो खाना मेज पर रखा हुआ है वह असली नहीं बल्कि नकली है। इस फोटो के नीचे लिखा हुआ कैप्शन फोटोग्राफर एलिसियो मामो के बारे में बताता है। फोटोग्राफर ने लिखा है कि वह सामाजिक और राजनीतिक मामलों पर फोटोग्राफी करते हैं। एलिसियो मामो ने लिखा कि आर्थिक प्रगति के बावजूद अधिकांश भारतीय जनसंख्या अभी भी बहुत गरीब है। भारत की आज की इस नई आर्थिक ताकत के पीछे इसके 30 करोड़ अति गरीब लोग हैं जो आज भी एक डॉलर प्रतिदिन यानी कि 70 रुपए से कम पर रोज गुजारा करते हैं। सरकार के आंकड़े भले ही गरीबी को कम होता हुआ दिखा रहे हों लेकिन वास्तविकता ये है कि खाने-पीने की चीजों के लगातार बढ़ रहे दाम की वजह से पूरी दुनिया में गरीबी लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने लिखा, ये तस्वीरें ग्रामीण इलाके की हैं जहां स्थिति काफी खराब है। गांवों की लगभग 70 फीसदी जनसंख्या गरीब हैं, आंकड़े बताते हैं कि 5 साल से कम उम्र के लगभग 21 लाख बच्चे हर साल कुपोषण की वजह से मर जाते हैं, वह लिखते हैं कि इस प्रोजेक्ट पर काम करने का विचार तब मन में आया, जब मैंने एक आंकड़ा पढ़ा जिसमें दिखाया गया था कि पश्चिमी देशों में यूं ही खासकर क्रिसमस पर कितना भोजन फेंक दिया जाता है, आगे उन्होंने लिखा कि मैं कुछ नकली खाना और एक मेज अपने साथ लेकर आया और लोगों से कहा कि वो उस खाने के बारे में सोचें जिसे वो अपनी मेज पर देखना चाहते हैं।