गांगुली ने खोला तेंदुलकर का ऐसा ‘राज़’, जो आपको कर देगा एकदम ‘दंग’
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के अलमारी से जुड़े राज़, नवजोत सिंह सिद्धू और अजय जडेजा की मैदान से बाहर की आदतों जैसे कई किस्से शुक्रवार को ईडन गार्डन्स पर टॉक शो के दौरान पूर्व क्रिकेटरों ने बयां किए। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने खुलासा किया कि बल्लेबाजी के बादशाह तेंदुलकर जब खेला करते थे तो वह केवल बल्लेबाजी और खरीदारी करते थे।
गांगुली ने कहा, ‘वह (तेंदुलकर) केवल बल्लेबाजी करता था या फिर खरीदारी। वह टेस्ट मैच में सेंचुरी बनाता और अगले दिन अरमानी या वरसाचे में खरीदारी करता। आप उन्हें अपने कपड़ों को आलमारी से हैंगर पर बेहद करीने से लटकाते हुए देख सकते थे। वह अपने कपड़ों को बहुत चाहते थे और उनकी आलमारी हमेशा भरी रहती थी।’ वीवीएस लक्ष्मण के बारे में गांगुली ने कहा कि यह कलात्मक हैदराबादी बल्लेबाज हमेशा देर से पहुंचता था।
कोलकाता में भारत के अपनी सरजमीं पर 250वां टेस्ट खेलने के मौके पर आयोजित टॉक शो में गांगुली ने कहा, ‘अगर चौथे या पांचवें नंबर का बल्लेबाज भी क्रीज पर हो तब भी वह शॉवर ले रहा होता था। यहां तक कि टीम बस में सवार होने वाला वह आखिरी व्यक्ति होता था।’ इस कार्यक्रम में भारतीय कोच अनिल कुंबले, कपिल देव और वीरेंद्र सहवाग ने भी हिस्सा लिया।
वीरू से सीखा बल्लेबाजों ने तेज खेलना
भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने का श्रेय गांगुली को जाता है लेकिन इस पूर्व कप्तान ने अपने साथियों को हीरा करार दिया जिन्होंने उनकी टीम में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘टॉप ऑर्डर में वीरू (सहवाग) पने बल्लेबाजी से कमाल करता था और जब गेंदबाजी का वक्त आता था तो हमें पता था कि हमारे पास एक ऐसा गेंदबाज (कुंबले) है जो किसी भी तरह की पिच पर विकेट दिलाएगा। वह कहता था, आप लोग बड़ा स्कोर बनाओ और मैं आपके लिए टेस्ट मैच जीतूंगा।’
दादा ने याद किया गोल्डन दौर
गांगुली ने कहा, ‘यह मेरे लिए गौरव की बात है कि मैं आप दोनों और राहुल, सचिन, हरभजन सिंह का कप्तान रहा। वह गोल्डन दौर था। हमारे पास बेजोड़ प्रतिभा थी। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को बेहतर बनाया।’ सहवाग की तारीफ करते हुए गांगुली ने कहा, ‘उसने दुनिया भर में लोगों की बल्लेबाजी के प्रति मानसिकता बदली। अगर आप आज के जमाने में देखोगे कि अगर खिलाड़ी तेजी से रन नहीं बनाता तो उसकी आलोचना होने लगती है। इसकी शुरुआत सहवाग (मैथ्यू) हेडन जैसे खिलाड़ियों के साथ हुई थी।’ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में 2001 के ऐतिहासिक मैच को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरे पास कुंबले नहीं था और उस स्थिति में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराने के लिए हरभजन ने सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन किया।’
‘जडेजा और सिद्धू बहुत गंदे रहते थे’
भारत की पहली वर्ल्ड कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव ने कहा कि 70 अैर 80 के दशक की भारतीय टीम की मानसिकता सही नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘सुनील गावस्कर युग के बाद क्रिकेट में बदलाव शुरू हुआ। बोर्ड के पास भी संसाधन नहीं थे और यह मुश्किल दौर था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम इतनी जल्दी टेस्ट क्रिकेट के शिखर पर पहुंच जाएंगे।’ कपिल ने कहा, ‘हम हमेशा से मानते थे कि आक्रामकता दिखाना तो उत्तर भारतीयों का काम है। हम बंगालियों को कलात्मक मानते हैं। अचानक हमने सौरव को बेजोड़ आक्रामकता के साथ देखा। दक्षिण भारतीय शांतचित और नरम होते हैं लेकिन कुंबले ने अपने जुनून से इसे बदल दिया।’ सवालों के जवाब में कपिल देव ने पूर्व सलामी बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू और मध्यक्रम के बल्लेबाज अजय जडेजा की मैदान की बाहर की आदतों का जिक्र किया। कपिल ने कहा, ‘उन्हें गंदा कहना कड़ा होगा लेकिन मैदान की बाहर वे बेहद बेपरवाह रहते थे। वे आनन-फानन में अपने कपड़े पैक करते थे और उन्हें कई दिनों तक पहने रखते थे।’
जब दादा वीरू से कहा, ‘जाओ बेपरवाह होकर खेलो’
सहवाग ने गांगुली और कुंबले को श्रेय दिया और साथ ही महेंद्र सिंह धौनी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक सफल खिलाड़ी के पीछे अच्छे कप्तान का हाथ होता है। इस धाकड़ बल्लेबाज ने कहा, ‘दादा का एक ही उद्देश्य होता था और वह विदेशों में जीत दर्ज करे और नंबर एक बनना। उनकी कप्तानी में आक्रामकता थी और अपने साथियों का हर हाल में साथ देना उनका मजबूत पक्ष था। मुझे याद है कि एक दिन रात के भोजन के समय कुंबले ने मुझसे कहा कि तुम अगले चारों मैच खेलोगे, प्रदर्शन मायने नहीं रखता, मैदान पर उतरो और अपना शत प्रतिशत दो।’ उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2008 में चेन्नई में खेली गई 319 रन की अपनी पारी को याद करते हुए कहा, ‘मैं बहुत संतुष्ट हुआ। मैंने अपना दूसरा तिहरा शतक कुंबले के कप्तान रहते हुए बनाया। दादा ने बीज बोए और कुंबले ने उसी क्रम को आगे बढ़ाया।’ सहवाग ने कहा, ‘क्रिकेट नहीं बदला लेकिन मानसिकता बदली। जब मेरे कप्तान ने मुझसे कहा कि जाओ और बेपरवाह होकर खेलो तो मैं कभी टीम में अपने स्थान को लेकर चिंतित नहीं रहा। मैं बेपरवाह क्रिकेट खेल पाया क्योंकि मुझे मेरे कप्तानों का समर्थन हासिल था।’ उन्होंने कहा, ‘कप्तानों ने अहम भूमिका निभाई चाहे वह सौरव हो, कुंबले या महेंद्र सिंह धौनी। प्रत्येक सफल कप्तान के पीछे एक महान कप्तान होता है।’