गाय को पूजा, बैलों को पिलाई शराब, जानिए क्यों किया ऐसा
सेंधवा (बड़वानी) रमन बोरखड़े। आदिवासी क्षेत्रों में शनिवार को पशुओं की दीपावली मनाई गई। गाय-बैलों को सजा-संवार कर अच्छा आहार देकर पूजन किया गया। परंपरा के अनुसार बैलों को शराब पिलाकर खूब दौड़ाया गया। आदिवासी बारेला समाज के तीन दिनी दीपावली पर्व का शनिवार को आखिरी दिन था। यहां से आठ किमी दूर ग्राम सिलदड़ में गाय-बैलों को सजाया गया। उनके सींग और शरीर को चटक रंगों से संवारा गया। गले में घंटियां भी बांधी गईं। उन्हें सात प्रकार का अनाज परोसा गया। बैलों को घर में तैयार महुए की शराब पिलाई गई। बाद में उल्लासित ग्रामीणों ने उन्हें जमकर दौड़ाया। पहले दो दिन परिवार व समाज के लोगों ने मिलकर खुशियां बांटी।
समृद्धि का प्रतीक सिलदड़ के पुजारा भियासिंह जाधव और ग्राम पटेल मदन जाधव ने बताया कि हमारे समाज का धन पशु ही है। इसीलिए पशुओं की दीपावली मनाई जाती है। आदिवासी समाज का मत है कि पशु दीपावली मनाने से घर में सुखसमृद्धि आती है।
सदियों पुरानी परंपरा
हर समाज की अपनी-अपनी परंपराएं हैं। हमारे समाज में दीपावली के बाद पशुओं की दीपावली मनाते हुए गाय की पूजा व बैलों को शराब पिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह परंपरा आस्था से जुड़ी है।
गजानन ब्राह्मणे, प्रदेश अध्यक्ष मप्र आदिवासी एकता परिषद