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गुजरात इफैक्ट: बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर हो सकता है जोर

किसानों ने गुजरात में दिखाया सरकार को आइना

नई दिल्ली (एजेंसी)।पीएम मोदी के विकास मॉडल वाले राज्य गुजरात में सोमवार को गुजरात चुनाव के परिणाम आ चुके है।इन परिणामों में गैर-शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को झटका लगने से सरकार को लेकर किसानों की नाराजगी का संकेत मिला है। इस देखते हुए आगामी बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक जोर दिया जा सकता है। इस पीछे एक कारण 2018 में देश के आठ राज्यों में चुनाव के साथ ही अगले वर्ष 2019 में खुद पीएम को जनता के बीच जाना है। इसके बारे में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि सरकार पिछले कुछ समय से किसानों की आमदनी बढ़ाने के उपाय भी तलाश रही है।बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर हो सकता है जोर

वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाएगी। आमदनी बढ़ाने के लिए डेयरी सेक्टर,मधुमक्खी पालन,कोल्ड चेन और फूड प्रोसेसिंग पर भी जोर दिया जाएगा। सिंह ने माना कि ग्रामीण क्षेत्र मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।उन्होंने इसके लिए पिछले सात दशकों की नीतियों को जिम्मेदार बताया।उनका कहना था कि गुजरात में किसानों ने बीजेपी को समर्थन दिया है।सिंह ने कहा,किसानों ने हमें समर्थन दिया है।अगर ऐसा नहीं होता तो हमें जीत नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ाने के साथ ही उन्हें प्रभावी तरीके से लागू करना सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया,किसानों की आमदनी दोगुनी करने और उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों में तेजी लाई जाएगी।कुछ राज्य खरीदारी और समर्थन मूल्य देने की पूरी कोशिश नहीं कर रहे हैं। केंद्र उन पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए दबाव डालना जारी रखेगा।’

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि गुजरात में कम सीटों के साथ सत्ता बरकरार रखने वाली बीजेपी के लिए चिंता केवल ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याओं को लेकर है।2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने, सिंचाई और कृषि उत्पादन के लिए अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ज्यादा जोर दिया जा सकता है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय किसान संघ के सेक्रटरी मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि गुजरात के किसान नाराज हैं। उन्होंने बताया, ‘किसानों में गुस्सा है क्योंकि उन्हें खरीफ फसल के अच्छे दाम नहीं मिले और खराब मॉनसून के दौरान मुआवजा नहीं दिया गया।2018 में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिहाज से किसानों को मुनाफे वाली कीमत देनी होगी।

इसके साथ ही किसानों से सरकार की फसलों की खरीदारी की व्यवस्था में भी सुधार करना होगा। मौजूदा केंद्र सरकार फरवरी में अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश करेगी। इस बजट पर 2019 के लोकसभा चुनाव का बड़ा असर होने की संभावना है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा,कमोडिटी के दाम गिरने से किसानों को अपनी फसलों के लिए अच्छी कीमत नहीं मिली है। दुनिया भर में कृषि कीमतें नीचे हैं। किसान मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और सरकार उनके लिए कुछ कर सकती है। एचडीएफसी बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट, अभीक बरुआ ने कहा,आने वाले समय में आर्थिक नीति में न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि,मनरेगा के लिए अधिक आवंटन,राज्यों में किसानों की कर्ज माफी का दबदबा हो सकता है।’

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