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गुजरात में मिला एक करोड़ 10 लाख साल पुराना मानव जीवाश्म

लखनऊ : बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने मानव जबड़े का अध्ययन किया। एक्स-रे कंप्यूटेड टोमॉग्रफी से मालूम चलता है कि संरक्षित जबड़ा सिवापिथेकस श्रेणी के किसी व्यस्क आदिमानव का है लेकिन इसकी प्रजाति की पहचान नहीं की जा सकी है। शोधकर्ताओं ने पूर्व में मिले स्तनधारी जीवाश्म के आधार पर इसे 110 से 100 लाख साल पुराना बताया। वैज्ञानिकों को गुजरात के कच्छ में 1 करोड़ 10 लाख साल पुराना मानव जीवाश्म मिला है। खोदाई में मिला ऊपरी जबड़े का यह जीवाश्म मानव प्रजाति के पूर्वजों का प्रतीत होता है। जर्नल पीएलओएस वन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह खोज भारतीय प्रायद्वीप में प्राचीन महाकपि की मौजूदगी की पुष्टि करता है। कपि या होमोनोइड्स, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका से आयी नरवानर की प्रजाति है जिससे बाद में गिब्बन्स और महाकपि वर्ग के चिंपैंजी, गोरिल्ला, ओरंगुटन और मनुष्य की उत्पत्ति हुई।

प्राचीन नरवानर को भारत और पाकिस्तान के शिवालिक में मिओसेन की तलछटी में पाया गया जिसे मानव और महाकपि के बीच की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। देश में मनुष्य की उत्पत्ति और विकास के क्रम में समझने में शिवालिक रेंज से मिले जीवाश्म बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। यूपी के लखनऊ में बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने मानव जबड़े का अध्ययन किया। एक्स-रे कंप्यूटेड टोमॉग्रफी से मालूम चलता है कि संरक्षित जबड़ा सिवापिथेकस श्रेणी के किसी व्यस्क आदिमानव का है लेकिन इसकी प्रजाति की पहचान नहीं की जा सकी है। शोधकर्ताओं ने पूर्व में मिले स्तनधारी जीवाश्म के आधार पर इसे 110 से 100 लाख साल पुराना बताया।

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