गुलाम नबी के बयान को लश्कर ने बनाया ढाल, कहा- J&K में सेना कर रही लोगों पर जुल्म
कांग्रेस पार्टी अपने दो नेताओं के द्वारा कश्मीर मुद्दे पर दिए गए बयान पर फंसती हुई नज़र आ रही है. पहले सैफुद्दीन सोज के आजाद कश्मीर के बयान पर रार हो चुकी है और अब राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान पर हंगामा मच गया है कि जिसमें उन्होंने कहा कि घाटी में चल रहे सेना के ऑपरेशन में आतंकी कम नागरिक ज्यादा मारे जा रहे हैं. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भी आजाद के इस बयान के समर्थन में प्रेस रिलीज जारी की है.
लश्कर-ए-तैयबा के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में सेना के द्वारा नागरिकों को तड़पाया जा रहा है. वहां के नेता गुलाम नबी आजाद ने जो बात कही है वह बिल्कुल सही है. भारत की ओर से एक बार फिर जगमोहन (पूर्व में जम्मू-कश्मीर के गवर्नर) के समय को लागू किया जा रहा है.
लश्कर की ओर से भारत पर आरोप लगाया गया है कि पिछले 7 दशक से भारत J-K में उत्पीड़न कर रहा है. लोगों को ईद और जुमे की नमाज भी नहीं करने दी जा रही है. सेना के द्वारा कश्मीरियों की सोच को दबाया जा रहा है. रमजान के मौके पर लागू किए गए सीजफायर को लश्कर ने पूरी तरह से ड्रामा बताया. उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में अपने एजेंडे को लागू करने में लगातार फेल होता आ रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी लश्कर द्वारा कांग्रेस के बयान का समर्थन किए जाने पर हमला बोला है. पात्रा ने लिखा कि आतंकी संगठन का गुलाम नबी आजाद के बयान का समर्थन करना काफी शर्मनाक है.
क्या था गुलाम नबी आजाद का बयान?
आपको बता दें कि एक निजी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है. एक आतंकी को मारने के लिए 13 नागरिकों को मार दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि हाल के आंकड़ों पर गौर करें तो सेना की कार्रवाई नागरिकों के खिलाफ ज्यादा और आंतकियों के खिलाफ कम हुई है. घाटी में हालात बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि मोदी सरकार बातचीत करने की अपेक्षा कार्रवाई करने में ज्यादा यकीन रखती है. ऐसा लगता है कि वे हमेशा हथियार इस्तेमाल करना चाहते हैं.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि कार्रवाई को ऑपरेशन ऑल आउट कहना, यह स्पष्ट बताता है कि वे बड़े जनसंहार की योजना बना रहे हैं. गौर करने वाली बात है कि वे यह नहीं कहते कि इस मसले को बातचीत के जरिए हल किया जाएगा. जबकि पूरी दुनिया ने देखा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया ने अपने मसले बातचीत से हल किए.