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गुस्सैल ट्रंप के हाथ में परमाणु हथियारों का कोड कितना सुरक्षित?

donald-trump_1462518178एजेंसी/ पिछले एक साल में सोलह उम्मीदवारों को धूल चटाकर रिपबलिकन उम्मीदवारी हासिल करने वाले डोनल्ड ट्रंप को इस हफ्ते एक 370 किलो के गोरिल्ला से टक्कर लेनी पड़ी। हाथापाई वाली टक्कर नहीं बल्कि अमेरिकी टीवी चैनलों पर जगह हासिल करने की टक्कर।
 

इन दिनों सुबह से देर रात तक, अमेरिकी टीवी चैनलों पर सिर्फ ऐड ब्रेक के दौरान ट्रंप का नाम नहीं सुनाई देता है। बाकी तो हर वक्त ट्रंप ही ट्रंप। लेकिन इस हफ्ते एक गोरिल्ला उन पर भारी पड़ रहा था। हर आधे घंटे की न्यूज साइकिल में या तो ट्रंप थे या फिर बेचारा गोरिल्ला जिसे सिनसिनाटी शहर के चिड़ियाघर में गोली मार दी गई। अब तक तो आपने उस हट्टे-कट्टे गोरिल्ले का वीडियो देख ही लिया होगा लेकिन अगर नहीं देखा तो कहानी ये थी कि उसके पिंजड़े में एक चार साल का बच्चा गिर पड़ा।

करीब दस मिनट तक गोरिल्ला कभी उसे घसीटता तो कभी बिल्कुल उसे अपने बच्चे की तरह संभालता लेकिन गोरिल्ले को देखकर कहना मुश्किल था कि वो गुस्से में है, चिड़चिड़ा है या फिर बच्चे के साथ यूं ही खेल रहा है। चिड़ियाघर चलानेवालों को लगा कि गोरिल्ले पर भरोसा नहीं किया जा सकता और उसे गोली मार दी गई। तो टीवी चैनलों पर वो वीडियो बार-बार दिखाकर यही बहस चल रही है कि क्या गोरिल्ले पर भरोसा किया जा सकता था?

गोरिल्ला गुस्से में क्या करेगा क्या इसका अंदाजा लगाया जा सकता था? क्या बच्चा उसके साथ सुरक्षित था? ठीक उसी तरह बहस इस बात पर भी हो रही है कि क्या ट्रंप पर भरोसा किया जा सकता है? वो गुस्से में क्या कहेंगे, क्या करेंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है? क्या अमरीका उनके हाथों में सुरक्षित रहेगा?

ट्रंप और गोरिल्ला दोनों ही टीवी रेटिंग के लिए बेहद अच्छे हैं तो चैनल वाले बड़े आराम से बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं और ट्रंप और गोरिल्ले का मुकाबला भी सही चल रहा है। अब देखिए अगर गोरिल्ले को ये लगता है कि उसपर कोई हमला कर रहा है या करनेवाला है तो वो उसपर टूट पड़ता है।

कुछ उसी अंदाज में ट्रंप भी अपनी आलोचना या तीखे सवालों के जवाब में लोगों पर टूट पड़ते हैं। पिछले दिनों उन्होंने रिटायर्ड फौजियों के लिए अपनी एक रैली में साठ लाख डॉलर का चंदा जमा करने का एलान किया, खूब वाहवाही लूटी और रिपबलिकन उम्मीदवारी की रेस में भी उसका फायदा उठाया। लेकिन चार महीने बाद जब रिपोर्टरों ने उसकी पड़ताल करनी शुरू की कि पैसे गए कहां, बेचारे फौजियों को मिले क्यों नहीं तो ट्रंप मीडिया पर बिफर पड़े।

एक रिपोर्टर को तो उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही झूठा, घटिया सबकुछ कह डाला। उन्होंने एक यूनिवर्सिटी शुरू की थी जिसके खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर हुआ है कि लोगों से गलत वादे करके उनसे पैसा वसूला गया। जिस जज ने मुकदमा दायर करने की इजाजत दी, ट्रंप उस पर भी बरस रहे हैं और काफी हद तक उन्होंने ये भी कह दिया है कि जज मेक्सिकन मूल का है इसलिए वो उनके खिलाफ है। उनकी रैलियों में अगर कोई विरोध प्रदर्शन करने पहुंचता है तो ट्रंप का गुस्सा देखते ही बनता है। ट्रंप से प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक रिपोर्टर ने ये भी पूछ लिया कि वो होते तो गोरिल्ला के साथ क्या करते?

अमेरिका के राष्ट्रपतियों को कितने मुश्किल फैसले लेने पड़ते हैं न? और उस रिपोर्टर ने उनपर चिड़ियाघर चलाने की जिम्मेदारी भी सौंप दी। ये अलग बात है कि सोशल मीडिया पर रिपोर्टर की शामत आ गई।

बहुतों ने कहा गोरिल्ला के साथ-साथ पत्रकारिता को भी दफनाने की जरूरत आ गई है। खैर ट्रंप साहब ने बड़ा सोच-विचार कर राष्ट्रपति की तरह जवाब दिया कि “देखने में तो गोरिल्ला शांत लग रहा था, बच्चे के साथ मां की तरह बर्ताव कर रहा था लेकिन कभी – कभी खतरनाक भी लग रहा था। बस एक ऊंगली दबाता और बच्चे के साथ शायद कुछ भी हो सकता था। इसलिए उसे मारने के अलावा कोई चारा नहीं था।” 

अमेरिकी राष्ट्रपति की ऊंगली भी एक ब्रीफकेस पर होती है जिसमें अमेरिका के परमाणु हथियारों की कुंजी है। यानि अगर ऊंगली दब गई तो दुनिया तबाह।तो गोरिल्ला के गुस्से पर होनेवाली बहस से फुर्सत मिलते ही टीवी चैनलों पर बहस शुरू हो जाती है ट्रंप जिस तरह गुस्से में आपा खो बैठते हैं क्या उनके हाथ में अमेरिका के परमाणु हथियारों के कोड वाला ब्रीफकेस सौंपा जा सकता है?

चिड़ियाघर वालों को तो जब अपने सवालों का जवाब नहीं मिला तो उन्होंने बेचारे गोरिल्ला से पीछा छुड़ाने में ही भलाई समझी। लेकिन ट्रंप रिपब्लिकन जनता की पसंद हैं व्हाइट हाउस की उम्मीदवारी के लिए और पार्टी लाख कोशिशों के बाद भी उनसे पीछा नहीं छुड़ा सकी है। अगर व्हाइट हाउस पहुंच गए, तो कहा जा रहा है कि अमेरिकी जनता को भी इसी उम्मीद के साथ रहना होगा कि ट्रंप जो भी करें बस गुस्से में न आएँ। वर्ना एक ऊंगली की हेरफेर से। आगे क्या कहूं।

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