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गूगल, फेसबुक-व्हाट्सएप बिना इजाजत आपकी जानकारी चुरा नहीं पाएंगे

इंटरनेट उपभोक्ताओं की गतिविधियों, पसंद-नापसंद की जानकारी चुराकर अरबों डॉलर की कमाई करने वाली गूगल, फेसबुक-व्हाट्सएप जैसी कंपनियों को यूरोपीय संघ (ईयू) ने तगड़ा झटका दिया है। ईयू के मंगलवार को पेश नए विधेयक के मुताबिक, इंटरनेट कंपनियां उपभोक्ताओं की स्पष्ट इजाजत के बिना उनकी जानकारियां खंगाल नहीं पाएंगी।
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अभी तक ये नियम दूरसंचार कंपनियों पर ही लागू थे, जो कॉल और एसएमएस को पढ़कर या लोकेशन जानकर ग्राहकों को लुभावनी पेशकश करती थीं। ऑनलाइन विज्ञापनदाताओं का कहना है कि कड़े नियमों से वेबसाइटों की कमर टूट जाएगी और उनके लिए मुफ्त सेवाएं दे पाना मुश्किल हो जाएगा।

क्या है कमाई का फंडा
माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर के साथ जीमेल, याहूमेल, या हॉटमेल जैसी ईमेल सेवाएं ग्राहकों के ईमेल को पढ़ती हैं और उनकी पसंद-नापसंद के आधार पर उनके मेल या पसंदीदा वेबसाइटों पर विज्ञापन देती हैं। इसके लिए वे उपभोक्ताओं की इजाजत नहीं लेतीं। या फिर सेवा-शर्तों के लंबे चौड़े दस्तावेज में इसका मामूली जिक्र कर देती हैं और लॉगइन के साथ ही यूजर्स की स्वत: सहमति मान ली जाती है। इसी कमाई के बलबूते गूगल, फेसबुक जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियां मुफ्त सेवाएं देती हैं। लेकिन ईयू के नए प्रस्ताव से उनकी कमाई गिरेगी।

सर्च इंजन भी दायरे में
गूगल, याहू, बिंग जैसे सर्च इंजनों को इंस्टालेशन से पहले यूजर्स से पूछना होगा कि वेबसाइट पर कुकीज को इजाजत देंगे या नहीं। ब्राउजर के पहले के संस्करणों में डिफॉल्ट सेटिंग के साथ यूजर्स की इजाजत मान ली जाती थी। कुकीज ब्राउजरों के जरिये यूजर्स की जानकारी और उनकी पसंदीदा वेबसाइटों का पता लगाकर विज्ञापन कंपनियों तक डाटा पहुंचाते हैं और ये कंपनियां उस डाटा के आधार पर विज्ञापन देती हैं। कानून बनने के पहले यूरोपीय संसद से ये नियम पारित कराने होंगे।

कमाई दांव पर

  • 230 अरब डॉलर का सालाना विज्ञापन राजस्व टेक कंपनियों का
  • 4% जुर्माना वैश्विक टर्नओवर का लगेगा नियमों के उल्लंघन पर
  • 2018 से डाटा संरक्षण के और कड़े नियम लागू करेगा यूरोपीय संघ

यह यूजरों पर निर्भर करता है कि वे अपनी जानकारी इंटरनेट कंपनियों को देना चाहते हैं या नहीं। उन्हें अपना डाटा या गतिविधि को गोपनीय रखने का पूरा अधिकार है। एंड्रस एनसिप, यूरोपीय आयोग के डिजिटल बाजार के उपाध्यक्ष

डाटा से यूजर की पहचान नहीं होती, वे आईपी एड्रेस और अन्य जानकारी के आधार पर विज्ञापन देती हैं। नए नियमों से यूजर्स और टेक कंपनियों के बीच पर्दे के पीछे काम करने वाली कंपनियां खत्म हो जाएंगी। युवस स्वार्जबार्ट, इंटरनेट एडवरटाइजिंग ब्यूरो के नीति-नियामक मामले के प्रमुख

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