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गोपी पूरा कर रहे हैं डॉ. अखिलेश दास का सपना

डॉ. अखिलेश दास के आकस्मिक निधन के बाद पूरा बैडमिंटन जगत सदमे में था। दरअसल बैडमिंटन को बड़े स्तर पर चमकाने का पूरा श्रेय अखिलेश दास गुप्ता को जाता है लेकिन उनके अचानक जाने के बाद से भारतीय बैडमिंटन की उम्मीदों को करारा झटका लगा था। अखिलेश दास ने भारत में बैडमिंटन को एक अलग मुकाम दिया। उनके अधूरे सपनों को उड़ान देने के लिए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लगातार कमर कस रहे हैं। अखिलेश दास ने जो सपना भारतीय बैडमिंटन के लिए देखा था शायद वह अब भारतीय खिलाड़ी अपने धासू प्रदर्शन से पूरा करने का दम-खम दिखा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण श्रीकांत है। जो लगातार अपने खेल के माध्यम से विश्व बैडमिंटन पटल पर अपनी धमक दिखा रहे हैं।

-एस एम अब्बास
श्रीकांत ने अभी हाल में इंडोनेशियाई ओपन का खिताब जीता था जबकि अब उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई ओपन बैडमिंटन में भी देश का झंडा बुलंद कर दिया है। सायना और सिंधु के बाद बैडमिंटन में श्रीकांत ने अपनी शानदार फॉर्म की बदौलत कई नामी गिरामी बैडमिंटन खिलाड़ियों को चित करने का हौंसला दिखाया है। उनके खेल को देखकर गोपी और प्रकाश की याद ताजा हो जाती है। पुरुष खिलाड़ियों में श्रीकांत के आलावा पी कश्यप, साइ प्रणीत, एसएच प्रणाय जैसे खिलाड़ी भी विश्व बैडमिंटन में अपने खेल का जलवा दिखा रहे हैं। यह भी रोचक है कि अब सायना और सिंधु के बाद पुरुष खिलाड़ी अपनी अमिट छाप छोड़ने में लगातार सफल होने में कामयाब हो रहे हैं जो भारतीय बैडमिंटन के लिए बेहतर साबित होगा। भारत के अगले गोपीचंद बनने की राह पर चल पड़े किदांबी श्रीकांत ने केवल सात दिन के अंदर दो सुपर सीरीज का खिताब जीतकर अपना लोहा मनवाया। किदांबी श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलियन ओपन में बड़ा उलटफेर करते हुए ओलम्पिक चैंपियन चीन के चेन लांग को 22-20 और 21-16 की करारी शिकस्त देकर सबको चौंका दिया है। दरअसल भारत के शीर्ष खिलाड़ियों में शुमार किदांबी श्रीकांत को इस चीनी खिलाड़ी से पांच बार हार का सामना करना पड़ा था लेकिन ऑस्ट्रेलियाई ओपन में आखिरकार श्रीकांत इस चीनी दीवार को ध्वस्त करने में सफल रहे। यह जीत इसलिए भी अहम मानी जायेगी क्योंकि हाल में हेयरलाइन फ्रैक्चर के बाद करीब तीन माह बाद श्रीकांत ने धमाकेदार वापसी करते हुए इंडोनेशिया ओपन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ओपन के खिताब पर भी कब्जा जमाया है। इस तरह से वह लगातार दो सुपर सीरीज का खिताब जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बन चुके हैं। जानकारों की माने तो वह भारत के अगले गोपीचंद कहे जा सकते हैं। इतना ही नहीं श्रीकांत ने करियर में अब तक चौथा सुपर सीरीज का खिताब भी जीतकर एक नया प्रतिमान स्थापित किया है। यह खिताब इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि श्रीकांत सायना के बाद सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में सामने आये हैं। बताते चलें कि सायना ने इससे पूर्व आठ सुपर सीरीज का खिताब जीतने का कारनामा किया।

भारतीय बैडमिंटन के नये सुपर स्टार के रूप में चमके श्रीकांत लगातार भारतीय झंडा बुलंद कर रहे हैं। उन्होंने अपने छोटे से करियर में कई बड़े बैडमिंटन खिलाड़ियों को कोर्ट पर आसानी से धूल चटायी है। श्रीकांत पहली बार सुर्खियों में तब आये जब उन्होंने साल 2013 में थाईलैंड ओपन का पहला ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड जीता। इतना ही नहीं अगले साल उन्होंने लिन डेन को पराजित कर बैडमिंटन जगत में सनसनी फैला दी। इसके बाद वह लगातार चोटी के खिलाड़ियों पर कहर बनके टूटे। साल 2016 में सैयद मोदी बैडमिंटन का खिताब भी अपने नाम किया। देश में बैडमिंटन अगर फल फूल रहा है तो इसमें गोपीचंद का बहुत बड़ा योगदान है। उनकी पाठशाला से लगातार खिलाड़ी पूरी दुनिया जीतने का हौसला दिखा रहे हैं। इससे पूर्व सायना और सिंधु ने नाम कमाया अब श्रीकांत भी उन्हीं खिलाड़ियों में शुमार है जो केवल गोपी की तगड़ी कोचिंग की बदौलत यहा तक पहुंचे हैं।
यह बहुत कम लोग जानते हैं कि श्रीकांत ने जब बैडमिंटन शुरू किया था तब वह डबल्स में अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन पिता कृष्णा का सपना कुछ और था तभी उन्होंने साल 2008 में श्रीकांत को गोपीचंद की अकादमी में दाखिला करा डाला। शुरुआत में गोपीचंद ने उन्हें डबल्स और मिश्रित युगल में तराशना शुरू किया लेकिन पूर्व नम्बर एक खिलाड़ी ली चोंग वेई के कोच तेई बोक के कहने पर एकल में खेलने पर जोर डाला जिसका परिणाम यह है कि वह लगातार कोर्ट पर शानदार खेल दिखा रहे हैं। दरअसल बैडमिंटन लीग में तेई बोक की इस भारतीय खिलाड़ी पर पैनी नजर थी। इसके बाद गोपीचंद ने इस खिलाड़ी को अपने हिसाब से कोचिंग देनी शुरू कर दी थी। देश में बैडमिंटन का बढ़ता क्रेज देखा जा सकता है। यह बात भी सत्य है कि भारत में बैडमिंटन केवल सायना और सिंधु के नाम से जाना जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं है श्रीकांत और कुछ युवा जोश वाले खिलाड़ी इस बात से आगे निकलना चाहते हैं।
भारत में क्रिकेट को पूजा जाता है। दरअसल क्रिकेट में अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। इतना ही नहीं क्रिकेट में एक जाता है तो दूसरा फिर नई कामयाबी का झंडा गाड़ता है। पूर्व में सचिन का डंका पूरे विश्व में बजता था। अब विराट कोहली के बल्ले की दहाड़ देखने को मिल रही है। ठीक उसी तरह क्रिकेट को छोड़ अब बैडमिंटन में भी भारतीय खिलाड़ी चमक बिखेर रहे हैं। इस खेल में आये दिन नये स्टार मिल रहे हैं जो बैडमिंटन के लिए काफी अहम साबित होने वाला है। हॉकी में भारत लगातार संघर्ष कर रहा है। कुल मिलाकर खेल प्रेमियों की क्रिकेट के बाद बैडमिंटन से अब उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। सायना और सिंधु के बाद श्रीकांत से अभी और कई खिताब जीतने की उम्मीद भारतीय खेल प्रेमी लगा रहे हैं। 

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