गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में किस्मत आजमा रहे 32 उम्मीदवारों का भाग्य रविवार को ईवीएम में बंद होगा। दोनों जिलों में 4296 पोलिंग बूथों पर सुबह 7 से शाम 5 बजे तक होने वाले मतदान में कुल 39,13,181 मतदाता वोट डालेंगे। मतों की गिनती 14 मार्च को होगी और उसी दिन परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। वोटिंग के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अद्धैसनिक बलों और पीएसी की 65 कंपनियां तैनात की गई हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल. वेंकटेश लू ने बताया कि उप चुनाव में फूलपुर में 22 और गोरखपुर में 10 उम्मीदवार हैं। कुल 32 उम्मीदवारों में 3 महिलाएं भी चुनाव मैदान में हैं। दोनों लोकसभा क्षेत्रों में कुल 1808 मतदान केंद्रों पर 4296 मतदान बूथ बनाए गए हैं और 23,638 मतदान कर्मी तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों लोकसभा क्षेत्रों में 95 संवेदनशील मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग भी की जाएगी।
वहीं, गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में सपा की सोशल इंजीनियरिंग का इम्तिहान भी होगा। इन सीटों के चुनाव परिणामों से सपा की सियासी दिशा तय होगी। सपा ने न सिर्फ सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर प्रत्याशी उतारे हैं, बल्कि उसका पूरा जोर पिछड़ों, दलित व अल्पसंख्यकों की लामबंदी पर भी है। अगर नतीजे सपा के अनुकूल रहे तो 2019 में यही राजनीतिक-सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश होगी। प्रदेश में आबादी के लिहाज से पिछड़ी जातियों की तादाद सर्वाधिक है। इसके बाद दलित व अल्पसंख्यक आते हैं।
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पिछड़ी जातियों को पाले में लाने के लिए लंबी कसरत की। अपना दल, भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन, केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाना, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई पिछड़े व दलित नेताओं को भाजपा में शामिल करना ऐसे फैसले रहे, जिनका भाजपा को चुनावों में फायदा मिला। भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग से पिछड़ी व कुछ दलित जातियों को साधा।
किसी जमाने में चौधरी चरण सिंह ने पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों को जोड़ने के लिए सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत की थी। उनके दौरे में पिछड़े नेताओं की बड़ी फौज तैयार हुई। सरकारों में पिछड़ों की नुमाइंदगी बढ़ी। मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक पिछड़े वर्ग के नेता बनने लगे। उनके निधन के बाद मुलायम सिंह यादव ने काफी हद तक इस समीकरण को समझा।
बसपा के संस्थापक कांशीराम का ‘बहुजन’ का फॉर्मूला भी सोशल इंजीनियरिंग पर ही आधारित था। सपा भी इसी सोशल इंजीनियरिंग के रास्ते पर बढ़ी है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने भी लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले पिछड़े व दलित नेताओं को जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने गोरखपुर में निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के बेटे प्रवीण को उम्मीदवार बनाया तो फूलपुर में कुर्मी समाज के नागेंद्र सिंह पटेल को चुनाव में उतारा।
योगी गोरखपुर और मौर्य इलाहाबाद में डालेंगे वोट
दोनों लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद में वोट डालेंगे। मुख्यमंत्री सुबह 7 बजे प्राथमिक विद्यालय कुराना झूलेलाल गोरखनाथ मंदिर में मतदान करेंगे।
इसी तरह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सुबह 8 बजे ज्वाला देवी इंटर कॉलेज सिविल लाइन इलाहाबाद में मतदान करेंगे। इसके अलावा केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल सेंट एंड्रयूज इंटर कॉलेज गोरखपुर में और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ज्वाला देवी इंटर कॉलेज इलाहाबाद में मतदान करेंगे।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि शांति व्यवस्था बनाए रखने और निगरानी के लिए 4 सामान्य प्रेक्षक, 2 पुलिस प्रेक्षक, 2 व्यय प्रेक्षक भी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा 289 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 39 जोनल मजिस्ट्रेट, 20 स्टैटिक मजिस्ट्रेट और 280 माइक्रो ऑब्जर्वर भी तैनात किए गए हैं। साथ ही पीएसी और अद्धसैनिक बलों की 65 कंपनियां तैनात की गई है।