लखनऊ । भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव व राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक केएन गोविन्दाचार्य ने मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने सरकार के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का एलान किया। इसी के तहत भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध तथा भूमिहीनों को जमीन देने की मांग को लेकर गोविन्दाचार्य 20 फरवरी को हरियाणा के पलवल से पद यात्रा शुरू करेंगे। पद यात्रा 24 जुलाई को जंतर-मंतर पर समाप्त हो जाएगी। जहां वह भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कई सामाजिक व किसान संगठनों के संयुक्त धरने में शामिल होंगे। गोविन्दाचार्य ने यह जानकारी बुधवार को एक प्रेसवार्ता में दी। गोविंदाचार्य 19 फरवरी को चुनाव सुधारों को लेकर यहां हो रही जनपंचायत में हिस्सा लेने आए हैं। उन्होंने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसानों के लिए जानलेवा साबित होगा। उन्होंने कहा कि राजग सरकार के घटक दलों ने पिछली सरकार के भूमि अध्याग्रहण का विरोध किया था। लेकिन सरकार में आने के बाद एनडीए सरकार उससे ज्यादा घातक अध्यादेश लेकर आई है।
उन्होंने कहा कि उनकी मांगों के साथ अन्ना हजारे भी आ गए हैं। पिछली 25 जनवरी को भारत विकास संगम के एक सम्मेलन में वह और अन्ना हजारे एक मंच पर थे। सम्मेलन में जनलोकपाल लाने, कालाधन की वापसी और नया कालाधन न जमा होने और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, चुनाव में धन-बल का प्रयोग जैसे मुद्दों पर वह और अन्ना हजारे एक राय थे। गोविंदाचार्य ने काशी में भारत रत्न मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित गोशाला तोड़कर वहां एसटीपी बनाए जाने का भी विरोध किया। उन्होंने प्रदेश सरकार से गोशाला को बचाने की मांग की है।