नई दिल्ली : योगी सरकार के बाद अब मोदी सरकार ने गौ रक्षा के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत देश के किसी भी पशु बाजार में कत्लखानों के लिए मवेशियों की खरीद या बिक्री पर रोक लगा दी गई है। केन्द्र सरकार के इस फैसले का एलान पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को किया। द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स नियम 2017 को पर्यावरण मंत्रालय ने नोटिफाई कर दिया है। जिसका मकसद देश के किसी भी बाजार में जानवरों की खरीद-बिक्री को बैन करने के साथ मवेशियों की हत्या को रोकना है। इस नियम के मुताबिक, मवेशी को बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है।
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पशु बाजार में मवेशियों की बिक्री पर रोक –
पर्यावरण मंत्रालय के इस नियम के मुताबिक अब मवेशियों को खरीदने वालों को एक घोषणा पत्र देना होगा। जानवर की खरीद करने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस जानवर को मारने के लिए नहीं बल्कि कृषि उद्देश्य के लिए खरीदा जा रहा है। यानी कि अब बैल, गाय, भैंस, स्टीयर, बछड़ों और ऊंट को जो व्यक्ति खरीदेगा उसे पहले एक अंडरटेकिंग देनी होगी। जिसमें उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जानवर को कत्ल करने के इरादे से नहीं खरीदे रहा है।
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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पशु क्रूरता निवारण नियम, 2017 के मुताबिक, अब कोई भी व्यक्ति मवेशी को मांस करोबार के लिए हत्या करने के मकसद से नहीं बेच सकेगा, इसका लिखित घोषणापत्र दिये बिना उसे बाजार में नहीं ला सकता। इसके लिए केंद्र सरकार पशु अत्याचार निवारण कानून, 1960 में एक विशेष प्रावधान जोड़ने जा रही है।
मवेशियों की सुरक्षा से जुड़े नियम हो गए कड़े –
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, मवेशियों के सींगों को रंगने, सजावटी सामान लगाने, बैलों के कान काटने, घोड़ों को कम उम्र का दिखाने के लिए की जाने वाली क्रूरता जैसी चीजों पर बैन है। इन मवेशियों में बैल, गाय, सांड़, भैंस, बछिया, बछड़े और ऊंट शामिल हैं। सरकार के इस फैसले के मुताबिक, किसी भी राज्य की सीमा से 25 किलोमीटर और इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर की दूरी पर पशु बाजार नहीं लग सकेगा।