ग्रह दोषों को दूर करते हैं ये मंत्र, जप करने से बनने लगते हैं सारे काम…
ग्रह दोष को दूर करने के लिए और उनकी शुभता प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के उपाय बताये गये हैं। आइए जानते हैं ग्रहों से जुड़े दोष और उनके उपाय।
सूर्य
जीवन में मान-सम्मान और ऊर्जा का कारक ग्रह सूर्य होता है। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। मान-सम्मान, नौकरी और समृद्धिशाली जीवन जीने के लिए सूर्य देव की कृपा जरूरी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य की दशा मजबूत होने पर वह समाज में बड़े से बड़े पदों पर आसीन होता है। वहीं अगर कुंडली में सूर्य कमजोर है तो वह व्यक्ति को निर्बल बना देता है।
उपाय
सूर्यदेव की शुभता पाने के लिए प्रतिदिन उगते सूर्य का दर्शन एवं उन्हें ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहते हुए जल अर्पित करना चाहिए। प्रतिदिन सूर्य को जल देने के बाद लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके निम्न मंत्र का 108 बार जप करें-
”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।”
चंद्रमा
मन का कारक ग्रह चंद्रमा होता है। मन की उग्रता और शांति के लिए चंद्रमा का काफी महत्व होता है। अगर कुंडली में चंद्रमा अशुभ भाव में बैठा है तो वह मनुष्य के मन पर अशुभ प्रभाव डालेगा। चंद्र दोष पैदा होने से कलह, मानसिक विकार, माता-पिता की बीमारी, दुर्बलता, धन की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। चंद्रदेव की शुभता पाने और उनसे जुड़े दोष दूर करने के लिए जितना ज्यादा हो सके साफ-सफाई पर ध्यान दें।
उपाय
चंद्रमा के इस मंत्र का जप करने से मन की दुर्बलता समाप्त हो जाती है।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥
मंगल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल साहस और पराक्रम का कारक ग्रह है। मंगल ग्रहों का सेनापति है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल के कमजोर होने पर उसके साहस और ऊर्जा में निरंतर कमी रहती है। इस दोष को दूर करने के लिए और मंगल की कृपा पाने के लिए मंत्रों की जाप करना आवश्यक होता है।
उपाय
कुंडली में मंगल दोष को दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करें।
ॐ अं अंगारकाय नम:।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाह्यम्।
बुध
ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को युवराज का दर्जा हासिल है। बुध बुद्धि, व्यापार, त्वचा एवं धन का ग्रह है। बुध शारिरिक रूप से कमजोर लेकिन बौद्धिक नजरिए से सबसे प्रबल ग्रह होता है। तरक्की और प्रसिद्धि पाने के लिए कुंडली में बुध का मजबूत होना आवश्यक है।
उपाय
अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है या फिर नीच का हो तो आप बुध ग्रह की शुभता पाने के लिए बुध के बीज मंत्र का जाप करें –
‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय् नम:।।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।
गुरु
सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह गुरु ही है। कुंडली में बृहस्पति के शुभ प्रभाव से धन लाभ, सुख-सुविधा, सौभाग्य, लंबी आयु आदि मिलता है। सामान्य तौर पर गुरु हमेशा शुभ फल ही प्रदान करते हैं। लेकिन लेकिन यदि कुंडली में यह किसी पापी ग्रह के साथ बैठ जाएं तो कभी-कभी अशुभ संकेत भी देने लगते हैं।
उपाय
अशुभ गुरु को शुभ बनाने और शुभ गुरु को और अधिक शुभ बनाने के लिए हर रोज तुलसी या चंदन की माला से ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का 108 बार जप अवश्य करें।
देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकशं तं नमामि बहस्पतिम्।।
शुक्र
जीवन में सभी तरह के भौतिक सुख और संपन्नता के लिए शुक्र ग्रह को जिम्मेदार माना गया है। कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने पर स्त्री, वाहन, धन आदि का सुख प्राप्त होता है। कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने पर सभी तरह के ऐशो-आराम की सुविधा मिलती है। वहीं कुंडली में शुक्र के अशुभ होने पर तमाम तरह की आर्थिक परेशानियां और वैवाहिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
उपाय
शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें
ॐ शुं शुक्राय नम:।
ॐ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
शनि
ज्योतिषशास्त्र में शनि न्याय के देवता हैं। शनि कर्मों के अनुसार ही लोगों को अच्छा या बुरा फल देते हैं। कुंडली में शनि दोष होने पर तमाम तरह की बाधाएं आती हैं। व्यक्ति को आर्थिक और शारीरिक परेशानियां चारों तरफ से घेरने लगती है। वहीं कुंडली में शनि शुभ भाव में बैठने से व्यक्ति को सुखी जीवन जीने के लिए सब कुछ प्रदान करते हैं। शनि को प्रसन्न करने के लिए कभी किसी गरीब को सताना नहीं चाहिए बल्कि दान से उसका कष्ट दूर करने का प्रयास करना चाहिए। कुंडली में अशुभ शनि को शुभ बनाने के लिए शनि देव के मंत्रों का जप करना चाहिए।
उपाय
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
राहु
राहु का नाम आते ही लोगों के हाथ पैर फूलने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र में राहु एक छाया ग्रह है। राहु से मनुष्य क्या देवता गण भी भयभीत रहते हैं। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को आसानी से किसी काम में सफलता नहीं दिलाता।
उपाय
कुंडली में इस ग्रह को राहु के दोष को दूर करने के लिए इसके मंत्र का जाप करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं।
‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’।
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।