स्वास्थ्य

घरेलू नुस्खो से दूर करें जोड़ों के दर्द

जोड़ों से संबंधित बीमारी ऑस्टिओ ऑर्थराइटिस बहुत ही तकलीफदेह होती है। इसे जोड़ का दर्द भी कहा जाता है। यह गठिया का सबसे आम प्रकार है। गठिया एक सामान्य शब्द है, जिसका मतलब होता है जोड़ों में सूजन। आमतौर पर बुजुर्गों एवं 60 साल से अधिक आयु के लोगों पर इसका अधिक प्रभाव होता है। सर्दी के मौसम में यह समस्या काफी बढ़ जाती है। इसके लिए जीवनशैली भी जिम्मेदार है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक चालीस वर्ष की आयु के बाद मनुष्य के शरीर में तत्व रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा व शुक्र का ह्रास होने लगता है, जिसके कारण मनुष्य कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होने लगता है। इनमें जोड़ों में दर्द प्रमुख है। यह कोई आनुवांशिक बीमारी नहीं है। वजन बहुत अधिक होने पर यह समस्या अधिक बढ़ जाती है। मधुमेह व हाइपोथैरोडिज्म के मरीजों को यह रोग होना एक आम बात है। इस बीमारी में जोड़ों में दर्द, जोड़ों में सूजन, चलने में तकलीफ, जमीन पर बैठने में परेशानी होती है।

इस रोग में घरेलू व आयुर्वेदिक नुस्खे काफी फायदेमंद साबित होते हैं। डिठरवरना का तेल काफी फायदेमंद है। दर्द वाले स्थान यानी जोड़ों पर डिठरवरना तेल लगाकर हाथ को आग में गर्म कर सेंकने से आराम मिल सकता है। अरंडी का पौधा : अरंडी के पौधे (छोटो पेड़) के जड़ को पानी से धो दें। ढाई सौ ग्राम जड़ को एक किलो पानी में अच्छे से उबाल दें। इतना उबाले की पानी का एक चौथाई हिस्सा बच जाए। उसे ठंडा कर दें। फिर छानकर सुबह-शाम पीने से दो से तीन दिन में दर्द समाप्त हो जाएगा। 

आयुर्वेद उपचार : आपके शहर के पुराने मार्केट में जड़ी-बूटी या आयुर्वेदिक दुकान में आपको ये दवाएं आसानी से मिल जाएंगी-

महायोगराज गुगलू’ नामक दवा तेज दर्द में काफी असरदायक है। मरीज इसे दो गोली सुबह-शाम गुनगुने एवं ठंडा ताजा पानी के साथ ले सकते हैं। ‘हिंगुलेश्वर रस’ यह दवा शरीर से टॉक्सीन को दूर करता है। मरीज एक गोली सुबह-शाम ठंडे या गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। ‘वातकुलांतक रस’ या ‘वात गजांकुश’ यह दवा की भी एक गोली सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। ‘निरकुंडी’ का चूर्ण या तेल से भी तेज दर्द में राहत मिलती है। मरीज दर्द वाले स्थान पर तेल लगा दें। फिर चूर्ण लगाकर कोई साफ सूती कपड़ा से बांध दें। तत्काल राहत मिल सकती है। ‘दशमूल चूर्ण’ दर्द से निजात पाने के लिए मरीज दशमूल चूर्ण का एक चम्मच आधा गिलास पानी में अच्छे से उबाल दें। फिर ठंडा होने पर छानकर सुबह शाम पी लें।

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