नई दिल्ली : जॉब के आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए अनपेड महिलाओं के काम को भी रोजगार के तौर पर मानने की तैयारी की है। खासतौर पर महिलाओं की ओर से किए जाने वाले घरेलू कामों की मैपिंग की जाएगी। नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के महानिदेशक देबी प्रसाद मंडल ने बताया कि सरकार ने जनवरी से एक साल तक ऐसा सर्वे कराने की योजना बनाई है। इसमें पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि घरेलू महिलाएं किस तरह से अपना समय घर में बिताती हैं। जिन लोगों को यह तक पता नहीं है कि घरेलू महनीलाएँ कुकिंग और कपड़े धोने मे कितना समय लेती हैं लानत है इन जैसे लोगों पर क्योंकि यह लोगों से तो सारा काम मेड से जो करवाते हैं।
मंडल ने कहा, इससे हम यह जान सकेंगे कि महिलाएं कुकिंग और कपड़े धोने जैसे कामों में कितना वक्त देती हैं। इन नतीजों से पॉलिसीमेकर्स को यह जानने में मदद मिलेगी कि इकॉनमी में रोजगार की क्या स्थिति है और वेलफेयर प्रोग्राम्स किस तरह से चलाए जा सकते हैं। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत में इकॉनमी के डेटा में खासा अंतर है। इसके चलते यह जानने में मुश्किल होती है कि आखिर महत्वपूर्ण सेक्टरों में जॉब की क्या स्थिति है। खासतौर पर मार्केट, रिटेल और हाउसिंग के बारे में यह सटीक पता नहीं चल पाता। भारत की करीब 70 करोड़ की आबादी यानी अमेरिका से दोगुनी जनसंख्या वर्कफोर्स का हिस्सा ही नहीं है।