घर में मौजूद वास्तुदोष भी हो सकता है महिलाओं की बीमारियों की वजह, करें ये उपाय
वास्तुशास्त्र के अनुसार, रसोईघर में इस्तेमाल होने वाला गैस चूल्हा या स्टोव का मुंह अगर उत्तर दिशा में होगा, तो वहां कार्य करने वाली महिला बार-बार बीमार पड़ती रहेगी। गैस स्टोव का मुंह पूर्व दिशा में होना लाभकारी होता है। यदि स्त्री दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन बनाती है, तो इससे उसका मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इस दिशा में खाना बनाने से बचना चाहिए।
रसोई में यदि शीशा लगा हुआ हो, तो यह भी अशुभ होता है। इससे महिला को सिर, कमर, पेट संबंधी रोग होते रहते हैं। रसोईघर में लगा शीशा घर में कलह भी पैदा करता है। घर की सुख-शांति बनी रहे, इसके लिए रसोईघर में कभी मंदिर नहीं बनवाना चाहिए।
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में केवल पति-पत्नी का फोटो लगाना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसी दिशा में लाल बल्ब लगाने से जीवन में खुशियों का संचार होता है। घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने से लाभ तो बढ़ता ही है, स्त्री बीमार भी कम होती है।
वास्तुशास्त्र कहता है कि अगर घर का कोई मुख्य भाग टूटा हुआ है या उसकी सामने की दीवार में दरार है, सीलन है, तो घर की मालकिन का स्वास्थ्य खराब रहता है और वह हमेशा मानसिक अशांति का शिकार रहती है। उदासी और अप्रसन्नता भी इसी कारण होती है। यह आर्थिक परेशानियों का भी एक बड़ा कारण है।
यदि घर का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में हो और उत्तर दिशा की हद तक निर्माण किया गया हो, दक्षिण दिशा में स्थान खाली हो, तो उस घर की स्त्री दुर्घटना का शिकार हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य व खानपान के साथ-साथ वास्तु का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है। अगर पूर्वोतर दिशा या ईशान कोण के कमरे का इस्तेमाल करेंगी, तो गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।