राजनीति

घाटी की आग को भड़काने वाले राजनीतिक बयान

जम्मू-कश्मीर में हालात बेकाबू चल रहे हैं ऐसे में स्थानीय नेता इन्हें शांत करने की बजाय ऐसे बयान दे देते हैं, जिससे आग और भड़क जाती है। कुछ ऐसा ही बयान नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने देते हुए कहा है कि कश्मीर में आतंकी बन रहे युवक विधायक या सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि इस कौम और वतन की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं। वे आजादी और अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।

एकबारगी इस बयान को देखा जाए तो सेना और सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने वाले और किसी न किसी तरह आतंकियों का सहयोग करने वालों को फारुक अब्दुल्ला बल देते हैं। यह अलग बात है कि बाद में फारूक अपने बयान से मुकर गए और कह दिया कि हम हिंसा और आतंकवाद का समर्थन नहीं करते।

हम चाहते हैं कि नई दिल्ली यहां रियासत के युवाओं के साथ संवाद बहाल करे। इस प्रकार इन नेताओं से यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि आखिर वो घाटी में किस आजादी और कुर्बानी की बात कर रहे हैं, क्योंकि सरकार और सेना तो आतंकियों को अपने निशाने पर लिए हुए है!

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