स्वास्थ्य

घुटने की चोट में आर्थोस्‍कोपी का जवाब नहीं, ऐसे आसान तरीके से होता है इलाज

घुटना एक ऐसा जोड़ है, जिसमें हड्डियों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है लिगामेंट, जो एक्स रे में दिखता नहीं है। इसलिए एक्स रे का सामान्य दिखने का आशय घुटने का सामान्य होना जरूरी नही है। कई मरीज ऐसे आते हैं, जिनके कहने का आशय यही होता है कि डॉक्टर साहब, हम गिर गए थे, घुटने में चोट लग गई थी, एक डॉक्टर को दिखाया था।

एक्स-रे में कुछ नहीं निकला था। दर्द निवारक दवाएं लीं, वक्त के साथ दर्द कम हो गया, लेकिन तकलीफ बनी रहती है। डॉक्टर से जब दोबारा सलाह ली, तब उन्होंने फिजियोथेरेपी, सिकाई करने और मरहम लगाने की सलाह दी। घुटना एक ऐसा जोड़ है, जिसमें हड्डियों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है लिगामेंट, जो एक्स रे में दिखता नहीं है। इसलिए एक्स रे का सामान्य दिखने का आशय घुटने का सामान्य होना जरूरी नही है। लिगामेंट घुटने को स्थिरता देते है और घुटने की चाल को संयमित रखते हैं।

इनके टूटने से घुटने में अस्थिरता व घुटने का मूवमेंट खराब हो जाता है। लिगामेंट रप्चर ( चोट ) जिसे देख पाना एक्स रे से भी संभव नहीं है, तो इस का यह मतलब नहीं है कि उसे देखा नहीं जा सकता है। एमआरआई नामक जांच से लिगामेंट को देखा जा सकता है। यह जांच बारीक चोटों को सटीक ढंग से चित्रित कर देती है। घुटने में मुख्यत: छह महत्वपूर्ण लिगामेंट होते हैं। इनमें से कुछ का इलाज बहुत कम प्रयास से संभव हो जाता है। जैसे ब्रेस, प्लास्टर। आधे से भी अधिक घुटने के लिगामेंट की चोटों को आर्थोस्कोपिक सर्जन ऑपरेशन के बगैर ठीक कर देता है। केवल कुछेक लिगामेंट फ्रैक्चर के मरीज को आर्थोस्कोपिक इलाज की आवश्यकता पड़ती है।

आर्थोस्कोपी की विशेषताएं:

आर्थोस्कोपी ऑपरेशन की ऐसी पद्धति है, जो ऑपरेशन व बगैर आपरेशन के बीच के इलाज को कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें…

  1. मरीज को बेहोश करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  2. घुटने में कोई बड़े चीरे नहीं लगते।
  3. व्यक्ति जिस दिन अस्पताल में आया है, उसी दिन अपना इलाज कराकर घर जा सकता है।
  4. घुटना पुन: पूरी तरह से स्थिर व ठीक हो जाता है और वह भी चीरफाड़ के बगैर।
  5. व्यक्ति खेलों में भी भाग ले सकता है। साथ ही व्यायाम भी कर सकता है। 

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