देहरादून : उत्तराखंड में बहुत से चमत्कारी मंदिर हैं, जो हिंदूओं की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। उन्हीं चमत्करी मंदिरों में से एक मंदिर ऐसा है जो उत्तराखंड राज्य की रक्षा करता है। यहां मौजूद लोगों का मानना है की माता का यह मंदिर कई सालों से उनकी व राज्य की रक्षा करता है, उन्हें कठिनाईयों व आपदाओं से बचाता है। भक्तों की आस्था का केंद्र यहां मंदिर में स्थापित धारा देवी ना सिर्फ लोगों की बल्कि आसपास में मौजूद मंदिरों की भी रक्षा करता है। उत्तराखंड की देवभूमि पर स्थित यह मंदिर धारा देवी मंदिर के साम से प्रसिद्ध है, मंदिर में देवी धारा की पूजा व आरती समयानुसार पूर्ण विधि-विधान से की जाती है। मंदिर में दर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि यहां मां काली प्रतिदिन तीन रूप बदलती है। वह प्रात:काल कन्या, दोपहर में युवती व शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं। हर साल चैत्र व शारदीय नवरात्र में हजारों श्रद्धालु अपनी मनौतियों के लिए मंदिर में आते हैं। इसके अलावा चारधाम यात्रा के दौरान भी हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। माता का सिद्धपीठ उत्तराखंड के श्रीनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है। शक्ति पीठों में कालीमठ यह मंदिर कलियासौड़ इलाके में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
धारी गांव के पांडे ब्राहमण मंदिर के पुजारी हैं। मां काली कल्याणी की यह मूर्ति वर्तमान में अलकनंदा नदी पर जल-विद्युत परियोजना के निर्माण के चलते नदी से ऊपर मंदिर बनाकर स्थापित की गई है। रहवासियों के अनुसार, इस मंदिर के साक्ष्य साल 1807 में पाए गए थे। वहीं यहां के महंत का कहना है कि मंदिर 1807 से भी कई साल पुराना है। यहां मां का गुस्सा किसी से छुपा नहीं है, यहां के लोगों की मानें तो केदारनाथ में आया प्रलय धारी देवी के गुस्से का ही नतीजा था। लोगों का मानना है कि उत्तराखंड सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी और देवी माता के मंदिर को तोड़ दिया। पहाड़ी बुजुर्गों के अनुसार उत्तराखंड में समय-समय पर आने वाली विपदा का कारण मंदिर को तोड़कर मूर्ति को हटाया जाना ही है। ये प्रत्यक्ष रूप से देवी का प्रकोप है। 2013 जून में केदारनाथ में आई आपदा के लिए भी धारी देवी को मंदिर को अपलिफ्ट करना भी एक कारण बताया जाता है।