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चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ सभी देशों को एकजुट करें PM मोदी: संसदीय समिति

बच्चों का यौन उत्पीड़न व सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी रोकने के लिए राज्यसभा की समिति ने 40 सिफारिशें की हैं। इनमें सभी उपकरणों पर एप्स की निगरानी अनिवार्य बनाना, यौन अपराधों से बच्चों को बचाने वाले पॉक्सो कानून व सूचना प्रौद्योगिकी कानून में संशोधन करना शामिल है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली तदर्थ समिति ने शनिवार को सभापति एम वेंकैया नायडू को रिपोर्ट सौंपी है। समिति ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर व्यापक गंभीरता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की तर्ज पर इसके खिलाफ सभी देशों को एकजुट करने का सुझाव दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया, पीएम को चाइल्ड पोर्नोग्राफी की समस्या पर संज्ञान लेते हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी इस विषय को शामिल करना चाहिए। पीएम को यह बताना चाहिए कि इससे निपटने के लिए क्या क्या उपाय किए जा सकते हैं। समिति ने सुझाव दिया कि पीएम इस दिशा में जी-20 या संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कारगर पहल कर सकते हैं।

14 सदस्यीय समिति का गठन
सभापति वेंकैया नायडू ने इस समस्या से निपटने के उपाय सुझाने के लिए रमेश की अगुवाई में 14 सदस्यीय समिति का गठन कर एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा था। समिति ने इस विषय पर तीन बैठकों के बाद यह रिपोर्ट तैयार की।

समिति ने ट्विटर व फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म तथा संबद्ध पक्षकारों से विचारविमर्श के बाद पॉक्सो क़ानून में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी की परिभाषा को व्यापक बनाने और इसकी ऑनलाइन निगरानी के तंत्र को मजबूत बनाने के लिए तकनीकी सुझाव भी दिए हैं।

इनमें भारत में उपलब्ध सभी संचार उपकरणों में ऐसे एप्स को अनिवार्य बनाने के लिए कहा है जिसकी मदद से बच्चों तक अश्लील सामग्री की पहुंच पर अभिभावक सतत निगरानी रख सकें।

समिति ने ऑनलाइन ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म को वयस्कों के लिए प्रसारित होने वाली सामग्री अलग स्थान सुनिश्चित करने का सुझाव भी दिया है ताकि बच्चों को इसकी पहुंच से दूर रखा जा सके।

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