उत्तर प्रदेशलखनऊ

चार लाख की सर्जरी 42 हजार रुपये में कर महिला को दी नई जिंदगी

लखनऊ.doctor-shimla_1461679858रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन और असहनीय दर्द से पीड़ित महिला को लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जन ने तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद राहत दे दी। रीढ़ में जन्मजात विकृति होने से महिला के पीठ और पैर में असहनीय दर्द रहता था। काफी समय तक इलाज के बाद भी उसे राहत नहीं मिली।

जांच में पता चला कि रीढ़ में डिफॉर्मेटी की वजह से दर्द की शिकायत है। ऑपरेशन की मदद से स्क्रू और पेंच डालकर टेढ़ी रीढ़ की हड्डी को सीधा कर दिया गया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

बाराबंकी की अनीता (46) को पीठ में हमेशा दर्द की शिकायत रहती थी। उम्र के साथ दर्द बढ़ता गया और समय के साथ रीढ़ की हड्डी में झुकाव आता गया। काफी समय तक कई अस्पतालों में इलाज चला लेकिन राहत नहीं मिली।

परिवारीजन अनीता को एक महीने पहले लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग लाए तो जांच में पता चला कि हड्डी में गैप है, जिसकी वजह से दर्द के साथ उसमें झुकाव आ रहा है।

न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी फिक्स स्पेस से खिसकी हुई थी जिसे मेडिकल टर्म में हाई ग्रेड स्पाइनल प्रॉब्लम कहा जाता है। ये बीमारी जन्मजात होती है और इसमें 5वी वर्टीब्रा के बीच अंतर आ जाता है।

सेकरम- एल-5 के बीच डिफॉर्मेटी होने से दर्द के साथ उसमें टेढ़ापन आ जाता है। मरीज को दर्द और रीढ़ की हड्डी को बचाने के लिए जल्द से जल्द सर्जरी जरूरी थी।

जांच प्रक्रिया के बाद सर्जरी प्लान की गई और सर्जिकल इक्विपमेंट में शामिल स्क्रू, पेंच और रॉड की मदद से स्पेस को खत्म करने के साथ तीन घंटे की सर्जरी के बाद हड्डी को सीधा कर दिया गया। अब मरीज पूरी तरह ठीक है और दर्द संबंधी सभी समस्या पूरी तरह ठीक हो गई है।

नसों का गुच्छा सर्जरी में चुनौती
ऑपरेशन इसलिए जटिल होता है क्योंकि उसके आसपास नसों का गुच्छा होता है। इन नसों के गुच्छे से शरीर के हाथ, पैर, दिमाग, नाक, कान, आंख और अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों का संचालन होता है। इसमें किसी तरह का नुकसान होने पर मरीज लकवाग्रस्त हो सकता है।

ऐसी स्थिति में सर्जरी के दौरान मॉनिटर और कैमरे की मदद से निगरानी रखी गई , जिससे मरीज की किसी अहम नस को नुकसान न पहुंचे।

डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी के बीच आए स्पेस और टेढ़ेपन को दूर करने के लिए सर्जरी पर केवल 42 हजार का खर्च आया। ऑपरेशन पूरी तरह सामान्य था लेकिन रॉड और स्क्रू पर अधिक खर्च आया। निजी सेंटर पर इस सर्जरी के लिए मरीज को न्यूनतम तीन से चार लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

संस्थान में सुरक्षित और सस्ता इलाज
संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि संस्थान में गंभीर से गंभीर रोगों का ऑपरेशन सस्ती दर पर संभव है।

मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए संस्थान में वेंटिलेटर यूनिट के साथ आईसीयू और सभी तरह की जांच की सुविधा है। मरीजों के लिए जांच व दवाओं की भी सुविधा है।

 
 

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