चीनीयों से आगे निकले भारतीय
नई दिल्ली. भारतियों का दबदबा दुनिया भर में है इसका एक और नज़ारा देखने को मिला. वहीँ भारत और चीन कि प्रतिद्वंदिता भी किसी से छुपी नहीं है. सात समुन्दर पार से एक और खबर खुश करने वाली आयी है. विदेश में बसे अपने देश के लोगों से धन प्राप्त करने में भारत शीर्ष स्थान पर कायम रहा है. विश्व बैंक ने कहा कि 2017 में विदेश में बसे भारतीयों ने अपने घर-परिवार के लोगों को 69 अरब डॉलर भेजे (रेमिटेंस) जो इससे पिछले साल की तुलना में 9.9 प्रतिशत अधिक है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में विदेश में बसे भारतीयों ने देश में 69 अरब डॉलर भेजे.
यह इससे पिछले साल की तुलना में अधिक है, लेकिन 2014 में प्राप्त 70.4 अरब डॉलर के रेमिटेंस से कम है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप, रूस और अमेरिका में आर्थिक विकास तेज होने से रेमिटेंस में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. यहां गौरतलब है कि कई गरीब देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए रेमिटेंस बड़ा सहारा होता है.
विश्व बैंक का कहना है कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम तथा यूरो और रूबल में आई मजबूती से रेमिटेंस बढ़ा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि समीक्षाधीन अवधि में जहां भारत को 69 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला, वहीं 64 अरब डॉलर के साथ चीन दूसरे स्थान पर रहा. फिलिपींस को 33 अरब डॉलर, मेक्सिको को 31 अरब डॉलर, नाइजीरिया को 22 अरब डॉलर और मिस्र को 20 अरब डॉलर रेमिटेंस से मिले. भारत को 2015 में 68.91 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला था, जो 2016 में घटकर 62.74 अरब डॉलर पर आ गया था. विश्व बैंक का अनुमान है कि आधिकारिक रूप से कम और मध्यम आय वाले देशों को 2017 में 466 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला. यह 2016 के 429 अरब डॉलर से 8.5 प्रतिशत अधिक है.
वैश्विक स्तर पर रेमिटेंस 2017 में सात प्रतिशत बढ़कर 613 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2016 में 573 अरब डॉलर रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम और मध्यम आय वाले देशों को रेमिटेंस 2018 में 4.1 प्रतिशत बढ़कर 485 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है. वहीं वैश्विक स्तर पर यह 4.6 प्रतिशत बढ़कर 642 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा.