विश्व में पांचवे स्थान पर मौजूद चीन के एक बैंक को भारत में अपनी शाखाएं खोलने की मंजूरी मिल गई है। 2018 में इसको लाइसेंस मिल गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ चाइना को मंजूरी देते हुए इसे आरबीआई एक्ट, 1934 के दूसरे शेड्यूल में डाल दिया है। देश के अन्य प्रमुख बैंक भी इन्हीं नियमों के तहत कार्य करते हैं। बैंक ने इसके अलावा जना स्मॉल फाइनेंस बैंक को भी इस सूची में शामिल किया है। वहीं रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड को नाम बदलने की मंजूरी देते हुए उसे अपना नाम नेटवेस्ट मार्केट पीएलसी करने का आदेश दिया है। केंद्रीय बैंक ने नेशनल बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया को बैंकिंग कार्य करने से रोक दिया है।
2018 में मोदी ने किया था वादा
एससीओ समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इसका वादा किया था। बैंक ऑफ चाइना चीन का दूसरा बैंक है, जो भारत में अपनी शाखा खोलेगा। मुंबई में पहली ब्रांच खोली जाएगी। ये चीन का चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है, जो हांगकांग और शंघाई स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है। इसकी मार्केट कैप 158.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 10.85 लाख करोड़ रुपये है।
बैंक ऑफ चाइना ने जुलाई 2016 में सिक्योरिटी क्लीयरेंस के लिए आवेदन किया था। इस बैंक पर पहले ही इजरायल को निशाना बनाने वाले आतंकी संगठन हमास को फंडिंग करने के आरोप लगे थे। हालांकि, बैंक ने साफ तौर पर इन आरोपों को नकार दिया था। और, कहा था कि हम संयुक्त राष्ट्र के एंटी मनी लॉन्डरिंग और एंटी टेररिस्ट फंडिंग नियमों और शर्तों का पूरी तरह पालन करते हैं। माना जा रहा है कि इन आरोपों के चलते ही बैंक को भारत में लाइसेंस मिलने में देरी हुई।
इससे पहले इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना जनवरी 2018 से भारत में बिजनेस शुरू कर चुका है। बैंक ऑफ चाइना समेत भारत में विदेशी बैंकों की संख्या 46 हो जाएगी। यूके का स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक भारत में सबसे ज्यादा 100 शाखाओं वाला विदेशी बैंक हैं।