चीन की नहीं चलेगी चाल, खत्म हुआ धक्का-मुक्की का दौर
नई दिल्ली : गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर तनाव की स्थिति है। इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर चीन की तरफ से कोई गलत कदम उठाया जाता है तो भारत अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। चीन की दगाबाजी पर पूरे देश में आक्रोश है। रक्षा विशेषज्ञ जीडी बख्शी का कहना है कि अब बातचीत का समय खत्म हो गया है, हमें चीन को कड़ी चेतावनी देनी होगी।
जीडी बख्शी ने चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर 53 साल से कोई फायरिंग नहीं हुई थी, धक्का-मुक्की होती रहती है, लेकिन इस बार जो हुआ वो पूरी तरह अस्वीकार्य है। चीन के साथ बातचीत हो चुकी थी, लेकिन उसने सरेआम धोखा दिया। अब हमें चीन को कड़ी चेतावनी देनी होगी कि धक्का-मुक्की का दौर अब नहीं चलेगा। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीएस हुड्डा ने कहा कि यह हमारे लिए एक अत्यंत दृढ़ प्रतिक्रिया दिखाने का समय है। हमारी सीमाओं को चीनी सरकार के लिए बहुत स्पष्ट करने की आवश्यक्ता है। सरकार हाईलेवल पर वार्ता करे, लेकिन सेनाओं को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखें।
भारत-चीन तनाव को लेकर पूर्व डीजीएमओ विनोद भाटिया का कहना है कि भारत और चीन ने एलएसी पर हमेशा शांति बनाई रखी है। ये 45 साल बाद हुआ है। जो रिपोर्ट आ रही हैं उनके मुताबिक, मिलिट्री कमांडर ने मिलकर बात की, वहां पूरी तरह से डिसएंगेजमेंट हो गया है, ये पहले हो जाना चाहिए था। हमें एक-दूसरे से बात करनी चाहिए कि इसको आगे रोका जाए।
चीन से संबंधित मामलों के जानकार प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली के अनुसार, 15 जून को भारत और चीन के बीच गलवन घाटी में हिंसक झड़प, दोनों देशों के बीच डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया और विश्वास की में कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सरकारों को मामले में जांच करने की जरूरत है और फिर इसके निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करें।
गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच 45 साल बाद खूनी संघर्ष हुआ है। चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर पथराव के साथ ही रॉड से भी हमले किए। इस दौरान एक कमांडिग अफसर समेत भारत में 20 जवान शहीद हो गए। इस झड़प में चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। चीन कै सैन्य यूनिट के कमांडिग अफसर समेत 40 सैनिक मारे गए हैं।