चीन के ये प्लान कामयाब होते ही, भारत में मचेगा हडकंप…
कश्मीर और अरुणाचल पर चीन की निगाह लंबे वक्त से है. तिब्बत पर उसने कैसे कब्जा किया सभी जानते हैं. पाकिस्तान को भी वह मदद मुहैया करा रहा है और उसका OROB (वन रोड वन बेल्ट) प्रोजेक्ट भी भारत के लिए चिंता का विषय है. लेकिन एक और विषय भी है जिसको लेकर भारत सशंकित है और अपनी चिंताएं बीजिंग को बता चुका है, यह मामला ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है.
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर कई बांध बना चुका है यह बात तो हम जानते हैं लेकिन अब चीन वह काम करने जा रहा है जो भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है. वह ब्रह्मपुत्र नदी को मोड़ने जा रहा है और उसके लिए वो 1000 किलोमीटर लंबी सुरंग बना रहा है. इस सुरंग के बन जाने से चीन का एक रेगिस्तान आबाद हो जाएगा लेकिन भारत के उन हिस्सों में पानी की बेहद कमी हो सकती है जहां वर्तमान में ब्रह्मपुत्र नदी से पानी पहुंचता है.
हॉन्गकॉन्ग के एक अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर पर भरोसा करें तो चीन के इस कदम से शिनजियांग नाम का प्रांत कैलिफोर्निया में तब्दील हो जाएगा. लेकिन चीन के इस विकास की कीमत भारत को चुकानी पड़ सकती है. साथ ही प्रर्यावरणविद इस बात से भी परेशान हैं कि हिमालय को इससे खतरा हो सकता है. उनका मानना है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ठीक नहीं और यह कदम इस हिमालयी क्षेत्र के लिए काफी भारी पड़ सकता है.
100 से अधिक चीनी वैज्ञानिक इस काम में लगे हैं. चीन लंबे वक्त से भारत और बांग्लादेश को भरोसा दिलाता रहा है कि उसके द्वारा बांध बनाए जाने से इन देशों के पानी पर फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन पर्यावरणविद इसे हकीकत नहीं मानते. चीन की ये नई योजना कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि वह नदी के बीच में एक आईलैंड भी बनाना चाहता है जहां कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे साथ ही सुरंग संबंधी काम भी किया जाएगा.
ब्रह्मपुत्र नदी करीब 2900 किलोमीटर लंबी है. यह हिमालय के कैलाश पर्वत के पास से निकलती है और चीन से होती हुई भारत में प्रवेश करती है, इसके बाद यह बांग्लादेश होती हुई समंदर में मिलती है. भारत में यह 900 किलोमीटर से अधिक लंबी है और बेहद अहम भी है. माना जाता है कि पिछले दिनों उत्तराखंड में जो आपदा आई थी उसका कारण चीन द्वारा इस हिमालयी क्षेत्र में की गई छेड़छाड़ ही था. चीन विकास कर रहा है लेकिन उस विकास की कीमत भारत के उन इलाकों को चुकानी पड़ रही है जो बॉर्डर के हैं. लेकिन इस बार ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव को यदि मोड़ा गया तो अंजाम बेहद गंभीर हो सकते हैं.