चीन को लगा बड़ा झटका, विकास दर में बड़ी गिरावट
शुक्रवार को जारी किए गए अन्य आंकड़ों से पता चला है कि सितंबर में कारखानों में जितना उत्पादन होना चाहिए था, उसमें भी कमी आई है। जबकि खुदरा बिक्री पूर्वानुमान से थोड़ी ऊपर ही रही। घरेलू चुनौतियों के अलावा, चीन को अगले कुछ महीनों में अमरीका से चल रहे ट्रेड-वॉर से और क्षति हो सकती हैं।
बीजिंग : 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद इस साल तीसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में सबसे धीमी वृद्धि दर दर्ज की गई। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने कहा है कि जुलाई से लेकर सितंबर के बीच तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.5 फ़ीसद रही। कुछ वक़्त पहले ही रॉयटर्स के विश्लेषकों ने ये भविष्यवाणी की थी कि इस साल चीन की वृद्धि दर 6.6 फ़ीसद रहेगी, लेकिन नतीजा उससे भी ख़राब निकला। नीति निर्माताओं ने हाल के महीनों में ठंडी पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने की काफ़ी कोशिशें की हैं। चीन की अर्थव्यवस्था इस वक़्त बड़ी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है। चीन पर क़र्ज़ का स्तर बढ़ा है और अमरीका के साथ चल रही ‘ट्रेड वॉर’ ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। अमेरिका से चल रहा व्यापारिक विवाद आने वाले महीनों में चीन के विकास संबंधी आंकड़ों पर और भी गंभीर असर कर सकता है। शुक्रवार को जो आंकड़े सामने आये हैं, उनसे ये साफ़ हुआ कि साल 2009 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था वृद्धि दर के सबसे धीमे स्तर पर पहुँच गई है। पिछली तिमाही में चीन की वृद्धि दर 6.7 फीसदी थी, लेकिन तीसरी तिमाही की वृद्धि दर चीन के सालाना लक्ष्य (6.5 फ़ीसद) के बराबर रही। विश्लेषकों का कहना है कि चीन को इस वक़्त अपनी जीडीपी को लेकर थोड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। चीन के व्यापारियों को ये उम्मीद नहीं थी कि ये ट्रेड वॉर इस वक़्त और इस तरह शुरू हो जाएगा। ये वो समय था जब चीन अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूद नियमित जोखिमों का प्रबंधन करने की कोशिश कर रहा था। चीन के पास बहुत ज़्यादा विकल्प नहीं हैं। देश पर असाधारण स्तर का कर्ज़ हो गया है, इसलिए नीति निर्माता चीन की अर्थव्यवस्था को उसी तरह प्रोत्साहित करने के उपाय ढूंढ रहे हैं जैसे उन्होंने साल 2008 में ढूंढे थे। सरल शब्दों में कहा जाए तो चीन एक ही समय में दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है, वो भी तब, जब उसकी ‘बख्तरबंद सेना’ तैयार नहीं है। उधर चीन के सामने है अमरीका जैसा अप्रत्याशित और व्यवहार में अस्थिर दुश्मन, यानी चीन की लड़ाई अमरीका के आक्रामक प्रशासन से है। चीन के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से इसमें से कुछ भी अच्छा नहीं है। सालों से चीन ने निर्यात को कम करने के लिए दबाव डाला है। वहीं विकास के लिए घरेलू खपत पर अधिक निर्भर रहने की रणनीति अपनाई है। हाल के महीनों में चीन ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बाज़ार में नकदी को बढ़ावा देने की कोशिश की है।