चीन ने चंद्रमा पर उतारा अंतरिक्ष यान, ISRO भी लॉन्च कर सकता है 32 अंतरिक्ष अभियान
अंतरिक्ष की दुनिया में चीन ने एक बड़ी पहल की है। दरअसल, चीन ने चंद्रमा पर एक अंतरिक्षयान उतारा है। यह अंतरिक्ष यान चांद के अनदेखे हिस्से उतारा गया है। चंद्रमा पर लगभग 1,600 मील आर-पार और आठ मील गहरा सबसे बड़ी, सबसे पुरानी और सबसे गहरी घाटी है। अंतरिक्षयान ‘चांग इ-4’ चंद्रमा की सतह का पता लगाएगा। इसके जरिए विकिरण के स्तर को पता लगाएंगे और चांद के सतह से मिट्टी के नमूने इक्ट्ठा करेंगे। चीन अपने इस काम को 2030 तक पूरा करने का दावा कर रहा हैं।
आपको बता दें कि चंदमा पर पौधों को उगाने की कोशिश में चीन ने यान ‘चांग इ-4’ के लैंडर में बीज और रेशम के कीड़ों के अंडे से भरा कनस्तर बांधा है। भविष्य में चंद्रमा की चौकी पर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अंकुरित भोजन का उपयोग किया जाएगा।
चंद्रमा का एक हिस्सा मानव के बसने के लिए अनुकूल माना जाता हैं, क्योंकि यहां पानी बर्फ के रूप में रहता है। चांद का सिर्फ एक ही हिस्सा हमें दिखता है, क्योंकि जिस गति से वह पृथ्वी के चक्कर लगाता हैं, उसी गति से अपनी धुरी पर भी चक्कर लगाता है। यही कारण हैं कि चांद का एक हिस्सा हमें नहीं दिखाई देता हैं।
वहीं भारत इस साल 32 अंतरिक्ष अभियान लांच करने की योजना बना रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने नए साल के मौके पर कहा, साल 2019 में 32 नियोजित अभियानों के साथ इसरो अपने समुदाय के लिए चुनौतीपूर्ण वादा करता है। अभियान में चंद्रमा पर कदम रखने के मकसद से भेजे जाने वाला चंद्रयान-2 भी शामिल है।
चंद्र अभियान आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से लांच किया जाने वाला 25वां अभियान होगा। इसकी लागत 800 करोड़ रुपये हैं। सिवन ने कहा कहा कि भारत 2021-22 में अंतरिक्ष में मानव भेजने के पहले अभियान गगनयान पर भी काम इसी साल शुरू करेगा।
आपको बता दें कि साल 2018 में अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का बोलबाला रहा। गगनयान मिशन को मंजूरी, सबसे भारी उपग्रह जीसैट-11, नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट 29 और वायुसेना के लिए संचार उपग्रहण जीसैट 7ए के प्रक्षेपण समेत कई मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।