चीन ने दी धमकी, सीमा से पीछे हट जाये इंडियन आर्मी, 1962 की जंग कर ले याद!
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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बयान जारी करते हुए कहा कि चुंबा घाटी को लेकर भारत सरकार से अभी कोई बातचीत नहीं चल रही है। भारत से बातचीत करने के लिए चीन की एकमात्र शर्त है कि भारतीय सेना अपनी जगह से पीछे जाए, तभी कोई बातचीत होगी। चीनी विदेश मंत्रालय का ये बयान चीन के अड़ियल रवैय्ये की बानगी भर है।
यही नहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने ये भी कहा कि भारत को साल 1962 को भी नहीं भूलना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय ही नहीं, चीनी अखबार भी भारत के बारे में धमकी भरे लेख लिख रहे हैं। चीनी न्यूज पोर्टल ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत पर 1962 के युद्ध में मिली हार का असर है।लेख में भारतीय मीडिया पर भी हमला करते हुए लिखा है कि वो एक ऐसा माहौल पैदा कर रही है जिससे ये साबित हो रहा है कि चीनी सैनिक उसके क्षेत्र में जबरन घुस रहे हैं। इतना ही नहीं, चीनी मीडिया सिक्किम बॉर्डर के मुद्दे को भी 1962 की जंग के दौरान अमेरिकी समर्थन से जोड़ते हुए देख रहा है।
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ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि सिक्किम एक आजाद देश था लेकिन भारत के साथ वह 1975 में जुड़ा। सिक्किम बॉर्डर को लेकर चीन-सिक्किम के बीच पहले ही बात बन चुकी थी और 2006 में नाथू ला दर्रा को लेकर भी फैसला किया जा चुका था। लेकिन भारत इसको लेकर आपत्ति जता रहा है। बुधवार को चीनी सरकार ने कहा कि दोंगलांग क्षेत्र भारत और भूटान के हिस्से में नहीं आता है। इसके साथ ही लेख में भारत को इस मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर थर्ड पार्टी बताया है। भूटान ने औपचारिक तौर पर उसके क्षेत्र में सड़क बनाने पर विरोध किया है। चीनी मीडिया भूटान के कारकों को लेकर बोल रहा है ना कि भारत के सीमा पार करने और सड़क बनाने पर रोक को लेकर।
गौरतलब है कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना द्वारा भारतीय सीमा के अंदर किए जा रहे निर्माण कार्यों को रोक दिया था। जिसके बाद चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के दो नए बंकर तोड़ दिए थे। इस समय नाथूला दर्रे के पास भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने खड़ी हैं। यही नहीं, चीन ने अपनी तरफ से दबाव बढ़ाने के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा को भी रोक दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि लगातार मजबूत होता भारत चीन की आंखों में चुभ रहा है और वो अपने इस पड़ोसी को बड़े खतरे के तौर पर देखता है।