चीन ने नेपाल के करीब 158 एकड़ भूमि पर किया कब्जा, विरोध के स्वर तेज
काठमांडू : नेपाल के कुछ गांवों पर चीन के कई सालों से कब्जा किया हुआ है। नेपाल के दो सरकारी विभागों ने पिछले नवंबर में ये रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी लेकिन भारत के खिलाफ सीमा विवाद पर आक्रामक रवैया अख्तियार करने वाली केपी शर्मा ओली सरकार ने आश्चर्यजनक तरीके से इस पर चुप्पी ओढ़ रखी है। इसी को लेकर नेपाल में चीन के खिलाफ विरोध के स्वर तेज हो गये हैं। विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के तीन सांसदों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को चिट्ठी लिखकर चीन से जमीन वापस लेने की मांग की है।
सांसदों के मुताबिक, चीन ने नेपाल के कई जिलों की 64 हेक्टेयर (करीब 158 एकड़) जमीन पर कब्जा कर लिया है। इनमें हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा जिले शामिल हैं। यह चिट्ठी प्रतिनिधि सभा के सचिव के जरिए प्रधानमंत्री तक पहुंचाई गई है। सांसदों ने कहा- चीन और नेपाल सीमा पर मौजूद पिलर नंबर 35 को चीन ने अपनी तरफ शिफ्ट कर लिया है। इससे गोरखा जिले का रुई गुवान गांव उनके कब्जे में चला गया। अब इस गांव के 72 परिवार चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के नागरिक बताए जा रहे हैं। धारचूला जिले के 18 घरों पर भी चीन दावा कर रहा है।
नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा बुधवार को लोकल अखबार ‘अन्नपूर्णा पोस्ट’ ने किया था। अखबार के मुताबिक, रुई गुवान गांव में 60 साल से चीन का राज चल रहा है। नेपाल की सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया। नेपाल सरकार के आधिकारिक नक्शे में भी यह गांव नेपाल की सीमा के भीतर ही दिखाया गया है।
गोरखा जिले के रेवेन्यू दफ्तर में भी रुई गुवान गांव के लोगों से टैक्स वसूली के दस्तावेज हैं। हालांकि, यहां नेपाल सरकार ज्यादा एक्टिव नहीं है। शायद यही वजह है कि इस इलाके पर चीन ने कब्जा कर लिया है। चीन ने जिन इलाकों पर कब्जा किया है उनको लेकर उसका कभी नेपाल से समझौता भी नहीं हुआ। यह सिर्फ सरकारी लापरवाही का नतीजा है। दोनों देशों ने सीमाएं तय करने और पिलर लगाने के लिए 1960 में काम शुरू किया था। लेकिन, जानबूझकर पिलर नंबर 35 को ऐसी जगह लगाया गया, जिससे नेपाल का इलाका चीन में चला गया।