चुनावी नतीजों से नाखुश मायावती ने मध्य प्रदेश में बसपा की कार्यकारिणी भंग कर दी
लखनऊ: मध्य प्रदेश के चुनावी नतीजों से नाखुश मायावती ने मध्य प्रदेश में बसपा की कार्यकारिणी भंग कर दी है। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश प्रभारी रामअचल राजभर और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को उनके पद से हटा दिया है। राजभर अब बिहार में पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। एमपी में रामजी गौतम को नया प्रदेश प्रभारी बनाया गया है और डीपी चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। रामजी गौतम अब तक बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे थे। 2018 के चुनाव परिणाणों की पिछले चुनावी नतीजों से तुलना करें तो बसपा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां बसपा को सीटों का नुकसान हुआ है, वहीं पार्टी का जनाधार भी कम हुआ है।
वर्ष 2013 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बसपा ने एक सीट जीती थी, जबकि उसे मिला वोट प्रतिशत 4.27 फीसदी था, जबकि 2018 में यह वोट प्रतिशत गिरकर 3.9 फीसदी पर पहुंच गया। वर्ष 2013 के मध्य प्रदेश चुनाव में बसपा ने 6.29 फीसदी वोट के साथ चार सीटें जीती थीं, जबकि 2018 में बसपा ने पांच फीसदी वोटों के साथ दो ही सीटें जीतने में सफल रही। वर्ष 1993 और 1998 के विधानसभा चुनाव में बसपा के 11-11 विधायक जीते थे। हालांकि, पिछले चुनाव की अपेक्षा बसपा ने राजस्थान में जरूर गेन किया है।
2019 में आसान नहीं होगी मायावती की राह
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की चुनौतियां और बढ़ गई हैं। इन राज्यों में चुनावी नतीजे आने से पहले मायावती को विपक्ष का संभावित पीएम उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन इन तीन राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेसी अब राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बता रहे हैं। चुनावी नतीजों को मायावती ने काफी गंभीरता से लिया है। शायद यही कारण है कि अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहीं मायावती ने चुनावी नतीजों के बाद बिना किसी शर्त के कांग्रेस पार्टी को समर्थन की बात कही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कई नीतियों से इत्तेफाक नहीं रखने के बावजूद वह बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस का समर्थन करेंगी।