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चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होगा, कलश स्थापना के साथ शुरू होगा पवित्र दिन

ज्योतिष डेस्क : सनानत धर्म में साल 2019 चैत्र नवरात्रि का पर्व अप्रैल माह की 6 तारीख दिन शनिवार से प्रारम्भ हो रहा हैं। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि का व्रत बड़ी श्रद्धा के साथ रखने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है और सारे पाप और कष्टों से मुक्ति भी मिल जाती है। चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए कलश यात्रा में शामिल होने का बहुत अधिक महत्व होता है। जो लोग चैत्र नवरात्रि पर कलश यात्रा में शामिल होने से लेकर रामनवमीं तक नौ देवियों को खुश करने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं उनसे नौ स्वरूप देवी जल्दी प्रसन्न हो जाती है। लखनऊ निवासी ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना/घट स्थापना के लिए कलश यात्रा का शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल को सुबह 6:35 मिनट से 10:17 मिनट तक रहेगा और कलश स्थापना/घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 10:35 से 11:47 मिनट तक रहेगा।चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की स्थापना के लिए चौकी, कलश/ घाट, लाल वस्त्र, नारियल फल, अक्षत, मौली, पुष्प, पूजा के लिए थाली, धुप और अगरबती, गंगाजल, कुमकुम, पान, दीप, सुपारी, कच्चा धागा, दुर्गा सप्तसती का किताब, चुनरी, पैसा, आदि को पूजन में शामिल करें।
नौ रूपों के प्रकार—
— जब कन्या का जन्म होता है तो कन्या के उस रूप को “शैलपुत्री” कहा गया।
— स्त्री की कौमार्य अवस्था को “ब्रह्मचारिणी” का रूप दिया गया।
— महिला विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह “चंद्रघंटा” समान कहलाती है।
— नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह “कूष्मांडा” स्वरूप में होती है।
— संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री “स्कन्दमाता” हो कहलाने लगती है।
— संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी का रूप है।
— अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह “कालरात्रि” जैसी होती है।
— संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से “महागौरी” हो जाती है।
— धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री कहा जाता है।

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