छात्रों के हंगामे के बाद बैकफुट पर एलयू प्रशासन
मामले की जानकारी होने पर चीफ प्रॉक्टर प्रो. निशि पांडेय व प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अन्य सदस्य मौके पर पहुंचे और छात्रों से वार्ता की। हालांकि छात्र अपनी मांगे मनवाने के बाद ही वहां से हटे।
छात्रों के हंगामे के बाद सुभाष हॉस्टल के आठों कमरों के ताले खोल दिए गए और जिन 10 छात्रों को विभिन्न मामलों में बाहर किया गया था उनको भी वापस रहने की अनुमति मिली।
हालांकि हबीबुल्लाह छात्रावास में रहने वाले सीनियर्स ने यह वादा किया कि वह सुनिश्चित कराएंगे कि अब सुभाष हॉस्टल में रहने वाले जूनियर्स किसी भी तरह का हंगामा न करें।
शुक्रवार सुबह पहुंचे छात्र कुलपति केन होने के चलते प्रशासनिक भवन के सामने ही धरने पर बैठ कर प्रदर्शन करने लगे। तत्काल भारी पुलिस बल और प्रॉक्टोरियल बोर्ड भी पहुंच गया।
चीफ प्रॉक्टर प्रो. निशि पांडेय ने छात्रों को समझाने का काफी प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने। बाद में कुछ सीनियर्स ने यह जिम्मेदारी ली कि यदि अब सुभाष हॉस्टल के छात्र कुछ करेंगे तो उनके साथ जिम्मेदारी लेने वालों को भी हॉस्टल से निकाल दिया जाए। इसकेबाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने कमरों के ताले खुलवाए।
इस वजह से उनको छात्रों के हंगामे केपहले ही राहत दे दी गई थी। 37 नंबर में रहने वाले शाकिब, 42 नंबर के अभिषेक और 68 नंबर कमरे में रहने वाले दीपक का नाम 23 नवंबर को कॉमर्स के स्टूडेंट्स से मारपीट में सामने आया था।
जबकि 51 नंबर कमरे में रहने वाले गौरव, 52 नंबर के शुभम और 80 नंबर में रहने वाले सौरभ का नाम कई मामलों में सामने आया है। इन सभी के खिलाफ जांच चलती रहेगी।
हॉस्टल में रहने की अनुमति इस शर्त पर दी गई है कि जांच के बाद यदि विवि को लगा तो वह इन्हें निष्कासित भी कर सकता है। इस बात के लिए सभी से लिखित ले लिया गया है।
शुक्रवार को हंगामे से पहले राहुल नाम केएक छात्र का नाम सुभाष हॉस्टल के प्रोवोस्ट डॉ. अरुण कुमार से अभद्रता करने के मामले में सामने आया। विवि इसकी जांच कर रहा है।