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छात्र होते हैं विश्वविद्यालय की आत्मा

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एस.पी. सिंह शिक्षा जगत की एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपने कर्तव्य पालन और उस पर दृढ़ता से अडिग रहने के लिए जाने जाते हैं। कर्तव्यों के पालन में प्राण भी संकट में क्यों न हों, वे कदम पीछे नहीं हटाते। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के एक वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने विश्वविद्यालय में जो बदलाव किये हैं, वे सराहनीय हैं, चाहे वह क्लास का फर्नीचर हो, छात्रों के कैंटीन में भोजन की गुणवत्ता हो या सुचारू ढंग से कक्षाओं का संचालन, इन सब पर बड़ी गंभीरता से और दूरदृष्टि के साथ एस.पी. सिंह जी ने विगत एक वर्ष में ही सराहनीय बदलाव किये हैं।

उनका मानना है कि छात्र विश्वविद्यालय की आत्मा होते हैं, आत्मा को दुख पहुंचेगा तो सभी को दुख होगा। अगर छात्र ही दुखी होंगे तो विश्वविद्यालय कैसे सुख की अनुभूति कर पायेगा? उनका मानना है कि छात्र विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने आता है तो हमें शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखना होता है। सुविधाओं में कुछ कमी रह जाये तो चलेगा किन्तु शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कसर नहीं छूटनी चाहिए। जिससे लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए दिल्ली या अन्य जगहो पर न जाना पड़े। वे यही रहकर उच्च कोटि की शिक्षा ग्रहण कर सकें। छात्र राजनीति के वे समर्थक हैं किन्तु छात्र राजनीति के नाम पर स्वार्थी तत्वों एवं छात्र जीवन की मूल अवधारणा को परिवर्तित कर उसका दुरुपयोग करने वालों के विरोधी हैं।

 

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