जंगल के राजा की मौतों का इलाज नहीं ढूंढ पा रही सरकार
अहमदाबाद। गुजरात के गिर में शेरों की लगातार मौत हो रही है जिसमे सरकार अभी किसी ठोस कदम नहीं उठा सकी है। सोमवार को खतरनाक वायरस की वजह से दो और शेरों की मौत हो गई। ऐसा बताया जा रहा है की यह वायरस कुत्तों से जंगली जानवरों में फैला है। इसी वायरस की वजह से साल 1994 में तंजानिया के सेरेंगेटी रिजर्व में करीब 1000 शेरों की मौत हो गई थी। गिर अभयारण्य में जांच अभियान के दौरान बचाव केंद्र में भेजे गए दो और शेरों की मंगलवार को मौत हो गई। अब 12 सितम्बर के बाद मरने वाले शेरों की संख्या 23 हो गई है। वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव कुमार गुप्ता ने कहा, ‘‘पहले बचाए गए दो शेरों की संक्रमण के कारण आज सुबह मौत हो गई।’’ 12 और 19 सितम्बर के बीच वन में 11 शेरों की मौत आपसी लड़ाई और संक्रमण के कारण हो गई जबकि दस और शेरों की मौत 20 और 30 सितम्बर के बीच राहत केंद्रों में स्थानांतरित किए जाने के बाद हुई। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मौतों को ‘‘काफी दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया है। इससे पहले 21 सितंबर को खबर आई थी कि गिर के वन में 11 शेरों के शव मिले हैं। जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए थे। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया था कि सभी मृत शेर पिछले 11 दिनों में गिर (पूर्वी) मंडल मुख्यत: दालखनिया रेंज में मिले हैं। उप वन्य संरक्षक, गिर (पूर्वी) पी. पुरुषोत्तम ने कहा, ‘हमें गिर के पूर्वी वन्य रेंज से 11 शेरों के शव मिले हैं।’ उस घटना के बाद शेरों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है।