चेन्नई : तमिलनाडु के थेनी जिले के जंगल में लगी भयानक आग में फंसकर 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि इस आग में फंसे 36 लोगों में से 27 लोगों को बचा लिया गया है।वायुसेना ने हादसे के शिकार हुए 9 लोगों के शव बाहर निकाल लिए हैं। 17 झुलसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं थी। जंगल में रविवार को भयानक आग लग गई थी, थेनी की जिला कलेक्टर मरियम पल्लवी बलदेव ने बताया कि 9 मृतकों में चार पुरुष, चार महिलाएं और एक बच्चा शामिल है। इनमें से 6 लोग चेन्नई के हैं, जबकि अन्य तीन इरोड के रहने वाले हैं। थेनी की जिला कलेक्टर मरियम पल्लवी बलदेव के मुताबिक ट्रेकिंग अभियान पर निकली 36 लोगों की टीम 10 मार्च को कुरंगानी पहाड़ियों पर पहुंची थी। इस टीम में 25 महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे। पल्लवी बलदेव ने बताया कि कोजुकुमलई में रात भर रुकने के बाद ट्रैकरों ने रविवार सुबह अपनी वापसी यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्हें जंगल में अचानक लगी आग के बारे में पता चला और सुरक्षित रास्ता ढूंढने के चलते वह बिछड़ गए। कोयंबटूर के सुलुर एयरबेस से तैनात किए गए भारतीय वायुसेना के चार हेलीकॉप्टरों के अलावा वन विभाग, पुलिस के कर्मी और स्थानीय अधिकारी भी इन बचाव कार्यों में शामिल रहे।
भारतीय वायु सेना के चार हेलीकॉप्टर और गरुड़ कमांडो फोर्स के 16 कमांडो भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 16 गरुड़ कमांडो सुबह 3 बजे ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे। उन्होंने रात में ही कुछ लोगों बचाया था, गरुड़ कमांडो मारे गए लोगों के शरीर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें 2 हेलीकॉप्टरों के जरिए नीचे लाया जाएगा, फिलहाल 1 हेलीकॉप्टर की मदद से आग बुझा दी गई है तमिलनाडु के पश्चिमी घाट की कुरंगानी- कोजुकमलई पहाड़ियां बोदिनयकनूर के पास स्थित हैं जो थेनी से 40 किलोमीटर दूर है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री सी विजयभास्कर ने बताया कि एक चिकित्सीय टीम ने कुरुंगनी पहुंचकर घायल ट्रैकरों को इलाज मुहैया कराया। वहां चिकित्सकीय टीम भेजी गई है, 9 मरीजों को पहले ही बोदी के सरकारी अस्पताल भेजा जा चुका है और उन सभी की स्थिति स्थिर बनी हुई है। ट्रेकिंग अभियान पर निकली 36 लोगों की टीम 10 मार्च को कुरंगानी पहाड़ियों पर पहुंची थी, इस टीम में 25 महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे। कोजुकुमलई में रात भर रुकने के बाद ट्रैकरों ने रविवार सुबह अपनी वापसी यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्हें जंगल में अचानक लगी आग के बारे में पता चला और सुरक्षित रास्ता ढूंढने के चलते वह बिछड़ गए। कोयंबटूर के सुलुर एयरबेस से तैनात किए गए भारतीय वायुसेना के चार हेलीकॉप्टरों के अलावा वन विभाग, पुलिस के कर्मी और स्थानीय अधिकारी भी इन बचाव कार्यों में शामिल थे।