जब इन 4 दोस्तों ने खास मकसद के लिए रेड लाइट एरिया में गुजारे 7 दिन
वाराणसी.यूपी के भदोही जिले में रहने वाले सुमित सिंह ने काशी के रेड लाइट एरिया शिवदासपुर को गोद लिया है। वह इसे मॉडल के तौर पर डेवलप करना चाहता है। इसके लिए वह बीते 7 दिनों से यहां रहकर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर रहा है। टीम से बातचीत में सुमित ने अपना मकसद, रिपोर्ट और उन 19 प्वाइंट्स को शेयर किया, जिनकी वजह से उन्हें डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से इस एरिया को गोद लेने की परमिशन दी है।
4 दोस्तों ने मिलकर बनाई संस्था
– सुमित पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने 2016 में 4 दोस्तों के साथ मिलकर ‘काशियाना फाउंडेशन’ संस्था बनाई, जो नशा उन्मूलन पर काम करती है।
– उन्होंने बताया, ”पहली विजिट के दौरान जब हम वहां की महिलाओं से मिले तो उन्होंने हमें कस्टमर समझा। जब उन्हें पता चला कि हम लोग संस्था से हैं तो भगा दिया। काफी समझाने के बाद हमें एक ने कमरे में बुलाया। अंदर गया तो बेड के नीचे 200 से ज्यादा कॉन्डोम पड़ा देखकर हम चौंक गए। मैंने पूछा- इतना कहां से आया, महिला बोली- संस्था के लोग देकर जाते हैं और लोग यहां छोड़ जाते हैं।”
– ग्राम प्रधान रीता गुप्ता ने बताया, ”शिवदासपुर की आबादी 24 हजार है। करीब 30 से 40 घर रेड लाइट एरिया में आते हैं।”
7 सवालों में समझें क्या है इनका मकसद और वहां रहकर इन्होंने क्या बनाई रिपोर्ट
Q. 7 दिनों में सबसे खराब एक्सपीरियंस आपका क्या रहा ?
A. रेड लाइट एरिया में महिलाएं सजधज कर बैठी थीं, पहले प्यार से बुलाया और न जाने पर गालियां भी दीं। एक महिला ने बताया- उसकी तीसरी पीढ़ी है। बेटी भी अब इसी धंधे जुड़ गई है।
Q. आम जनता कैसे रहती है ?
A. कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर ‘गृहस्थ घर है’ लिखकर टांग रखा है। वो लोग उस बदनाम गली की तरफ से गुजरते ही नहीं, न बच्चों को भेजते हैं।
Q. रेड लाइट एरिया ही क्यों चुना?
A. हमारी संस्था नशा मुक्ति पर काम करती है और भारत में ऐसे इलाके सबसे ज्यादा नशे से ग्रस्त होते हैं।
Q. यहां के बच्चों का क्या रिएक्शन देखा ?
A. फर्स्ट डे ही 10 साल का बच्चा मिला, बोला- अच्छी चीज दिला दूंगा। तुम चलना चाहते हो।
Q. आप करना क्या चाहते हैं?
A. इतनी बड़ी आबादी में एक भी स्कूल नहीं है। 15 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। 34 से 40 परिवार आज भी नर्क से जुड़े हैं, जिनको मुख्य धारा से जोड़ना है।
Q. एरिया में सरकारी योजनाएं कितनी दिखीं?
A. योजनाएं कोसो दूर हैं। सोलर लाइट कम लगी हैं, ह्रदय योजना के तहत तालाब का सौंदर्यीकरण नहीं हुआ है। हैंडपंप भी नहीं हैं।
Q. अगर ये परिवार अपने धंधे से दूर होगा तो क्या खाएगा?
A. डेयरी फॉर्म, ब्यूटीशियन, पापड़ जैसे छोटे उद्योगों की प्लानिंग की जाएगी।