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जब बेटियों ने अपने माता-पिता को दी मुखाग्नि देखने वाले दंग रह गए

शहर के जाने-माने वकील मनोज जैन और उनकी पत्नी मोनिका जैन की हादसे में मौत के बाद रविवार को छोला विश्राम घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पति-पत्नी को उनकी दोनों बेटियों अक्षिता व आरूषि ने मुखाग्नि दी। उनकी शवयात्रा में शामिल होने के दूर-दूर से लोग आए थे। अंत्येष्टि के दौरान मनोज जैन को जानने वाले लोग उनके काम करने की तरीके की चर्चा करते नजर आए। कोई बोला सुनवाई से पहले उनका होमवर्क काफी रहता था तो किसी ने कहा एक बार वह सुबह चार बजे तक आफिस में बैठकर काम निपटाते रहे थे। ऐसे कई किस्से विश्राम घाट में लोग याद कर रहे थे।

गौरतलब है कि भवानी चौक पीरगेट निवासी वकील मनोज जैन, पत्नी मोनिका व दो बेटियों अक्षिता व आरूषि के साथ 24 दिसंबर को सोनागिरि दर्शन करके लौट रहे मनोज जैन की कार भितरवार के पास हरसी डेम में गिर गई थी। इसमें मनोज और उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। शनिवार देर रात उनके शव भोपाल लाए गए। रविवार सुबह पीरगेट स्थित निवास पर उनके परिचितों और रिश्तेदारों का जमावड़ा लग गया । सभी लोग इस दुखद हादसे को लेकर दुखी थे। परिवार के साथ इस की दुख घड़ी में साथ खड़े होकर व्यापारियों ने बाजार बंद रखें।

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बाजार बंद, हर आंख थी नम

रविवार सुबह दस बजे जैसे ही जैन निवास में पति और पत्नी की अतिंम यात्रा के लिए अर्थियां सजाई गई, तो लोगों के आंसू निकल आए। छोला विश्राम घाट में दोनों को उनकी बेटियां अक्षिता व आरूषि ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। यह देखकर विश्रामघाट में लोगों की आंखे भीग गई।बड़ी संख्या में लोगों ने विश्रामघाट पहुंचकर लोगों ने उनको श्रृदांजलि दी।

काम के प्रति जुनुन था

मनोज जैन के मौसेरे भाई संजय जैन ने बताया कि उनमें में काम के प्रति जुनुन था। एक किसान के केस को लेकर वह काम में इतना डूब गए थे। जब मोनिका भाभी ने आफिस में जाकर उनसे काम बंद करवाया था। हालांकि, उनकी आदत थी कि वह आफिस रात एक से दो बजे तक काम करते रहते थे। उनकी टीम में देवेंद्र वर्मा और सुरजन विश्वकर्मा पर वह सबसे ज्यादा भरोसा करते थे।

कठोर परिश्रम से बनाया था मुकाम

बरेली रायसेन से आए मनोज जैन के दोस्त पवन शर्मा ने बताया कि वह हमेशा अपडेट रहते थे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसलों पर वह पूरी जानकारी लेते थे और कोशिश रहती थी कि उस आदेश के ऑर्डर की कॉपी मिल जाए। 25 सालों के कठोर परिश्रम का फल था कि मनोज राजधानी के चर्चित वकीलों में शुमार थे।

परिवार में सलाह मानी जाती थी

पिता महेंद्र जैन नगर निगम में इंजीनियर थे। मनोज घर में बड़े थे। विवेक और शिल्पी जैन उनके छोटे भाई बहन थे। स्कूल शिक्षा के लिए पिता ने उनका एडमिशन कैम्ब्रिज स्कूल में कराया था। उसके बाद उन्होंने लॉ किया। उनके मन में अपने टीचर के प्रति इतना सम्मान था कि वह अपने स्कूली समय के इंग्लिश शिक्षक को रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने आफिस में अपनी टीम में शामिल कर लिया था। वह ज्यादातर निर्णय में उनकी पत्नी मोनिका से बात जरूर करते थे।

बेटियों के पास बताने के लिए सिर्फ आंसूः-

छोला विश्राम घाट में माता-पिता का अतिंम संस्कार करने के बाद अक्षिता व आरूषि के पास बताने के लिए सिर्फ आंसू थे। विश्राम घाट में मौजूद लोग हादसे के बारे में बच्चियों से जानना चाह रहे थे, लेकिन बच्चियों के पास आंसूओं के अलावा बताने के लिए कुछ नहीं था। कुछ लोगों ने कोशिश की, लेकिन बच्चियों का बताते समय गला भर आया। लोगों ने उनको ढांढस बंधाया।

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