जब महाराष्ट्र विधान परिषद में उड़ी नियमों की धज्जियां, सीएम करेंगे राज्यपाल से शिकायत
नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के आखरी दिन भारी हंगामा बरपा। सभापति रामराजे नाइक-निम्बालकर ने राष्ट्रगीत के पढ़े बिना ही सदन की कार्यवाही अगले अधिवेशन तक स्थगित कर दी। सदन को चलाने की परंपरा व नियमों के अनुसार, राष्ट्रगीत के पढ़े जाने के बाद ही कामकाज को स्थगित करना होता है, लेकिन ऐसा न करते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, जिस पर सत्ताधारी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया।
सभापति को माफी मांगनी पड़ी
सत्ताधारी सदस्यों के हंगामे के बाद सभापति रामराजे नाइक-निम्बालकर को अपने ही आदेश को वापस लेना पड़ा और सदन में माफी मांगनी पड़ी। कार्यवाही को रद्द करने के नए आदेश देते हुए सभापति ने खुलासा किया कि उन्होंने ऐसा जान-बूझकर नहीं कहा। सदन में जारी हंगामे के चलते यह फैसला लिया गया था। सभापति ने स्थगित हुए सदन को दोबारा शुरू कराया और फिर बाकी बची कार्यवाही पूरी हुई। सदन के इतिहास में ऐसी भूल पहली बार हुई है।
फडणवीस के जवाब के दौरान कार्यवाही
यही मामला क्या कम था कि विधान परिषद में ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के जवाब के दौरान ही सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। उस समय पीठासीन अधिकारी नरेंद्र पाटील थे। अमूमन मंत्री का जवाब जारी रहते हुए सदन की कार्यवाही रोकी नहीं जाती, लेकिन इसे नकारते हुए नरेंद्र पाटील से सदन स्थगित किए जाने पर मुख्यमंत्री का जवाब अधूरा रह गया।
राज्यपाल से करेंगे शिकायत
इस घटनाक्रम पर सत्ताधारी बीजेपी ने गंभीर आक्षेप लिए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने संवाददाताओं को कहा कि सदन की कार्यवाही के नियमों के तहत न चलाने के सभापति के बर्ताव की शिकायत राज्यपाल विद्यासागर राव से की जाएगी। तथा जरूरत पड़ने पर सभापति के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। नियमों के अधीन न रहकर सदन की कार्यवाही न चलाने वाले दोनों सदस्य एनसीपी से हैं, जिस के चलते पार्टी अब बैकफुट पर है।