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जब विधानसभा में बोले दिल्ली के CM, ‘मेरा नाम केजरीवाल है और मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं’

गेस्ट टीचर्स को नियमित करने का बिल दिल्ली विधानसभा में पेश करते हुए हाइवोल्टेज ड्रामा हुआ। जैसे ही केजरीवाल ने ये बिल सदन के पटल पर रखा विपक्षी भाजपा विधायकों ने इसका विरोध करते हुए प्रॉसेस से बिल पेश करने की बात कही।
इसके बाद भी जब केजरीवाल नहीं रुके तो भाजपा विधायकों ने इसके खिलाफ सदन से वॉकआउट कर दिया। इस पर केजरीवाल ने प्रत‌िक्र‌िया देते हुए कहा क‌ि ह‌िम्मत है तो सामने आए।

ब‌िल पेश करते वक्त केजरीवाल ने सबसे पहला हमला एलजी पर ही बोला। उन्होंने सवाल उठाया क‌ि आख‌िर सरकार के कामकाज से जुड़ी फाइलें मंत्र‌ियों से क्यों छुपाई जा रही हैं, मैं और मेरे मंत्री जनता के चुने प्रत‌िन‌िध‌ि हैं।

केजरीवाल ने ये भी कहा क‌ि मैं और मेरे मंत्री कोई आतंकवादी नहीं है बल्क‌ि हमें जनता ने चुनकर यहां भेजा है। एलजी पर हमला बोलते हुए उन्होंने शाहरूख खान की फ‌िल्म का एक एक डायलॉग भी बोला। ज‌िसमें उन्होंने कहा क‌ि ‘माई नेम इज खान आई एम नॉट अ टेरर‌िस्ट। मैं बताना चाहता हूं मेरा नाम केजरीवाल है और मैं कोई आतंकवादी नहीं हूं।’

ये है पूरा मामला

बता दें क‌ि अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की दिल्ली सरकार की योजना और बुलाए गए विधानसभा सत्र में पेश करने के लिए तैयार विधेयक की वैधानिकता पर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सवाल उठाया है।

इस बारे में उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा था। इसमें उपराज्यपाल ने केजरीवाल को विधेयक पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से गुजारिश की है कि सर्व शिक्षा अभियान-2017 के तहत अतिथि शिक्षकों व शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने से संबंधित बिल को लागू करने से पहले पनुर्विचार करें।

27 अक्टूबर को हुआ था मंजूर

दिल्ली कैबिनेट से 27 अक्तूबर को मंजूर विधेयक में दिल्ली की विधान सभा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सेवाओं को नियमित किया जाना है। जबकि ट्रांजक्शन आफ बिजनेस आफ द गर्वमेंट आफ एनसीटी आफ दिल्ली रूल्स, 1993 के तहत विधेयक पर कानून विभाग की सलाह जरूरी  है। जबकि इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

उपराज्यपाल ने आगे कहा है कि यह विधेयक सीधे तौर पर सेवाओं से जुड़ा है। ऐसे में गृह मंत्रालय की अप्रैल 2015 की अधिसूचना और हाईकोर्ट के अगस्त 2016 के फैसले में साफ है कि सेवाओं से जुड़े मामले दिल्ली की विधान सभा की विधायी क्षमता से बाहर हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री से उपराज्यपाल ने गुजारिश की है कि विधेयक पेश करने से पहले मंत्रिमंडल के फैसले पर पुनर्विचार करें।

उपराज्यपाल अनिल बैजल की तरफ से बिल पर उठाए गए सवाल के बाद भी सरकार विधानसभा में बिल लाने जा रही है। सरकार का कहना है कि कैबिनेट ने इस मसले पर विचार किया है।

क्या बोले सभापत‌ि

वहीं, विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल बताते हैं कि सत्र बुलाने का निर्णय पहले लिया गया था। पूर्व में लिए गए फैसले के अनुसार सदन में बिल पेश किया जाएगा। हमेशा की तरह यह बिल भी उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा।

अगर उन्हें कोई आपत्ति है तो जो हश्र अन्य बिलों का किया है वह फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। गोयल के मुताबिक, बुधवार के सत्र के लिये अभी तक सरकार से एक ही एजेंडा मिला है।

उपराज्यपाल द्वारा बिल को असंवैधानिक बताने के बाद सत्र हंगामेदार रहेगा। भाजपा ने भी इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को घेरने का पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा के समक्ष हालांकि पहले गैस्ट टीचरों को नियमित करने के मुद्दे पर नीति तय करने में पेरशानी आ रही थी।

भाजपा का मानना था कि बिल के विरोध पर गेस्ट टीचरों के विरोध का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अब उपराज्यपाल के पत्र के बाद तय है कि भाजपा जोर-शौर से इसका विरोध करेगी और हंगाता तय है।

 
 

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