जम्मू-कश्मीर में बढ़ेगी 7 नई विधानसभा सीट, परिसीमन आयोग जनता के बीच रखेगा पूरा ड्राफ्ट
श्रीनगर: परिसीमन आयोग की प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी और इसमें कोई भय और संदेह नहीं होना चाहिए। आयोग की प्रमुख देसाई ने अपने अन्य सदस्यों के साथ केन्द्र शासित प्रदेश में निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के वास्ते सूचना एकत्र करने के लिए जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे किया
पिछले चुनाव तक थी 87 विधानसभा सीटें
दौरे के आखिरी दिन मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि परिसीमन निर्धारण के बाद राज्य में 7 विधानसभा सीट बढ़ेंगी। आयोग के ड्राफ्ट को जनता के बीच रखा जाएगा और इसपर आपत्तियां भी मांगी जाएंगी। पिछले चुनाव तक जम्मू-कश्मीर में कुल 87 विधानसभा सीटें थीं। लद्दाख के अलग केंद्र शासित राज्य होने के बाद सूबे में कुल 83 सीट बच गई और 4 को लद्दाख के हिस्से दे दिया गया।
पीओके की 24 सीटें रहेगी खाली
आयोग ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर ही परिसीमनका काम होगा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पड़ने वाली 24 विधानसभा सीटें खाली रहेंगी जो इसके (आयोग) पूर्वावलोकन से बाहर हैं। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) देसाई ने पत्रकारों से कहा कि मैं आपको अपनी और अपने सहयोगियों की ओर से आश्वस्त करती हूं कि यह प्रक्रिया निर्धारित कानून के अनुसार पारदर्शी होने जा रही है। मुझे नहीं लगता कि किसी को भी ऐसी कोई आशंका होनी चाहिए।”
अंतिम मसौदा किया जा रहा तैयार
सुशील चंद्रा ने कहा कि वे खुले दिमाग से यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमारे मन में कुछ होता और पहले ही फैसला कर लिया होता और आयोग लोगों को सुनने के लिए यहां नहीं आता। हम इस पर बहुत स्पष्ट हैं कि कुछ भी तय नहीं किया गया है। प्रक्रिया शुरू करने से पहले, हम सभी व्यक्तियों के विचार जानना चाहते हैं। किसी भी व्यक्ति के मन में यदि कोई आशंका है तो वह दूर हो जाएं।” चंद्रा ने कहा कि आयोग द्वारा तैयार किए गए मसौदे को आपत्तियों और प्रश्नों के लिए सार्वजनिक रूप से रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतिम मसौदा तैयार करते समय आयोग के सहयोगी सदस्यों से भी सलाह ली जाएगी।
आयोग ने विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से की मुलाकात
आयोग ने छह जुलाई और सात जुलाई को कश्मीर में और आठ जुलाई और नौ जुलाई को जम्मू में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की थी। आयोग ने 290 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की, जिसमें 800 से अधिक लोग शामिल थे। यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू को इस बार न्याय मिलेगा क्योंकि राजनीतिक सशक्तीकरण के संबंध में उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा है, चंद्रा ने कहा कि आयोग के लिए जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। उन्होंने कहा, ”हम इसे एक इकाई के रूप में देखते हैं। हम कश्मीर और जम्मू के बीच विभाजन नहीं करते हैं।”