चेन्नई : कांग्रेस को आज उस समय गहरा झटका लगा जब पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यालय पर वेदांता, अडानी तथा निरमा उद्योग समूह की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पर्यावरण स्वीकृति नहीं देने का निर्देश देने तथा उनकी छवि को खराब करने के लिये एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान चलाने का गंभीर लगाते हुए पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया। नटराजन ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में देश की सेवा की और उनके काम को लेकर कोई उन पर उंगली नहीं उठा सकता। उन्होंने साफ किया कि पर्यावरण मंत्री के तौर पर कोई गलत काम नहीं किया और अगर कोई साबित कर दे कि उन्होंने गलत काम किया है तो वह इसकी सजा भुगतने को तैयार हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी देने के मामले में पार्टी के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया। उन्होंने इस संवाददाता सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र को भी जारी किया। उन्होंने घोषणा की कि वह तत्काल पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हैं। नटराजन ने कहा कि वह कांग्रेस में अपने परिवार चौथी पीढ़ी की कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि मेरी रगों में कांग्रेस का खून बह रहा है और मैं हमेशा पार्टी और गांधी परिवार के प्रति समर्पित रही। यह कहने में मुझे कोई शर्म नहीं है। लेकिन यह मेरे लिए बहुत दुखद समय है। आज की कांग्रेस में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो गया है और यह वह पार्टी नहीं है जो तीन दशक पहले थी। आज पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। यही वजह है कि मैं कांग्रेस के साथ अपने जुड़ाव पर पुनर्विचार के लिए विवश हुई। उन्होंने कहा कि जब वह पर्यावरण मंत्री बनी तो उन्हें बताया गया था कि पर्यावरण की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की भी नीति थी। लेकिन उन्हें राहुल गांधी के कार्यालय से कई बार बड़ी परियोजनाओं के बारे में निर्देश मिले। इसके साथ ही अनेक गैरसरकारी संगठनों के ज्ञापन और उनकी शिकायतें भी होती थीं जिसमें कई बड़ी परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र होता था।
नटराजन ने कहा कि उन्होंने कई परियोजनाओं की जांच की और उन्हें रोक दिया। हालांकि मंत्रिमंडल में उनके अनेक सहयोगियों ने कहा कि इससे विकास की गति प्रभावित होगी लेकिन उन्होंने पार्टी के निर्देशों को तरजीह दी। जिन परियोजनाओं को रोका गया उनमें नियामगिरि, अडानी और निरमा की सीमेंट संयंत्र लगाने की परियोजना शामिल है। नटराजन ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ सुनिश्चित ढंग से दुष्प्रचार अभियान छेड़ा गया जिसमें उनकी छवि खराब करने की पूरी कोशिश की गयी। उन्होंने बताया कि उन्हें भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर महिला जासूसी कांड में हमला करने को कहा गया था तो उन्होंने यह कहकर इसका विरोध किया था कि हमले नीतियों और मुद्दों पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यही बात पार्टी नेतृत्व को अच्छी नहीं लगी और पहले उन्हें मंत्री पद से हटाया गया और फिर प्रवक्ता के पद से भी हटा दिया गया। उनके खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें किनारे लगा दिया गया। उन्होंने कहा कि 17 नवंबर 2013 को जब मैं टूर पर थी तो पार्टी के तत्कालीन मीडिया प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय माकन ने मुझे फोन करके तुरंत दिल्ली आने को कहा। मुझसे कहा कि मुझे महिला की जासूसी के मामले पर मोदी पर हमला करना है। मैंने इसका विरोध करते हुए कहा कि हमला मुद्दों और नीतियों पर होना चाहिए। लेकिन मुझे बताया गया कि यह पार्टी हाईकमान का निर्देश है। न चाहते हुए भी मैंने मोदी पर हमले किए।
नटराजन ने कहा कि 20 दिसंबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें बुलाया और कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती हैं कि वह पार्टी के लिए काम करें। उन्होंने तुरंत ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने का समय मांगा लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया और उनकी केवल फोन पर बातचीत हुई। उन्होंने इस बात को बार-बार दोहराया कि प्रधानमंत्री और खुद गांधी ने मंत्री के रूप में उनके कामकाज की कई बार तारीफ की थी। नटराजन ने कहा कि जनवरी 2014 मे वह कांग्रेस अध्यक्ष से मिली। गांधी ने उनसे कहा कि आपको पार्टी के लिए काम करना है। लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें माकन का फोन आया कि आपका नाम पार्टी के प्रवक्ताओं की सूची से हटाया जा रहा है। एजेंसी