चेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिला के निधन के चंद घंटों बाद ही उनके करीबी और सलाहकार रहे चो रामास्वामी का भी निधन हो गया। 82 वर्षीय रामास्वामी ने बुधवार सुबह आखिरी सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे और सांस लेने में समस्या के कारण अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था।
रामास्वामी राजनीतिक विश्लेषक होने के साथ ही थियेटर से जुड़े रहे और तमिल मैग्जीन Thuglak के संपादक भी थे। 82 वर्षीय बहुमुखी प्रतिभा के धनी रामास्वामी अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले एक निडर प्रचारक थे। वह शायद एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी जयललिता प्रशंसा करती थीं और जब भी वह खुद को एक मुश्किल स्थिति में पाती, तो उनकी सलाह भी लेती थीं।
ऐसा रहा उनका सफर
तमिल मैग्जीन Thuglak व्यंग्य और राजनीतिक शख्सियतों की निडर आलोचना के लिए जानी जाती है। वह ऐसे परिवार में जन्मे थे, जिसकी वकालत में प्रतिष्ठा थी। उनके दादा अरुणाचल अय्यर, पिता श्रीनिवास अय्यर और चाचा Matrhubootham जाने-माने वकील थे।
चो ने भी कानूनी पेशे में कुछ सफलता हासिल की। थिएटर में पूरी तरह से रमने से पहले वह कुछ समय तक टीटीके समूह के कानूनी सलाहकार भी रहे।
पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान दिया
बाद में उन्होंने फिल्मों में कदम रखा और अंत में अपने ही पत्रिका शुरू करके एक पत्रकार के रूप में अपनी छाप छोड़ी। पत्रकारिता में प्रवेश करने से पहले अपने लोकप्रिय थिएटर में उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक आलोचना का जिक्र किया। पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए उन्हें बीडी गोयनका पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कई नेताओं के करीबी रहे
अटल बिहारी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा उन्हें राज्यसभा में नॉमिनेट किया गया था। कई राजनीतिक नेताओं से उनकी करीबी दोस्ती थी। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के अध्यक्ष दिवंगत कामराज उनके शुरुआती दिनों के दोस्त रहे थे।
इसके अलावा वह जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, आरएसएस नेता बालासाहेब देवरस, चंद्रशेखर, जीके मूपनार और समकालीन नेताओं में दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे थे।
जयललिता के मार्गदर्शक रहे
तमिलनाडु की दिवंगत नेता जयललिता अक्सर चो रामास्वामी की सलाह लिया करती थीं। अगस्त 2015 के दौरान जब रामास्वामी अपोलो अस्पताल में भर्ती थे, तो जयललिता उनसे मिली थीं। इस दौरान जयललिता ने कहा था कि उन्हें जल्द ही ठीक होना पड़ेगा।
तब जयललिता ने कहा था कि उन्हें हमेशा ही एक दोस्त दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में उनकी जरूरत है। वह शायद एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी जयललिता प्रशंसा करती थीं। जब भी वह खुद को एक मुश्किल स्थिति में पाती, तो चो की सलाह भी लेती थीं।