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नई दिल्ली : भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी बादशाहत स्थापित करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। भारतीय शेयर बाजार जर्मनी के शेयर बाजार को पछाड़कर दुनिया का सातवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, सात वर्षों में पहली बार भारतीय शेयर बाजार ने यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के शेयर बाजार को पछाड़ा है। इसका यही अर्थ निकलता है कि मार्च में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद दुनिया के सात सबसे बड़े शेयर बाजारों में संघ का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र देश फ्रांस होगा। यह घटनाक्रम इस साल भारत की सकारात्मक वापसी को दर्शाता है, क्योंकि कंपनियों का घरेलू मांग पर भरोसा उन्हें फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी और अमेरिका तथा चीन के बीट ट्रेड वॉर के कारण उभरते बाजारों में गिरावट से बचाने में सक्षम बनाता है। यह यूरोपीय संघ के समक्ष चुनौतियों को भी प्रतिबिंबित करता है, जिसमें भविष्य में ब्रिटेन के साथ संबंध, बजट आवंटन को लेकर इटली के साथ गतिरोध और स्पेन में अलगाववादियों के संघर्ष शामिल हैं।
एक तरफ जहां एमएससीआई एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स इस साल 17 फीसदी की गिरावट की तरफ बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत का बेंचमार्क एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण पूरे साल के उतार-चढ़ाव के बावजूद पांच फीसदी ऊपर है। व्यापार संरक्षण तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा चीन के खिलाफ दंडात्मक टैरिफ के बीच निवेशक उन देशों में निवेश में ऐतहतियात बरत रहे हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था निर्यात आधारित है।