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जलवायु परिवर्तन से कृषि आय में 20-25 फीसदी की कमी आ सकती है

आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार को चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण निकट भविष्य में कृषि आय में 20-25 पीसदी तक की कमी हो सकती है। इसके मद्देनजर सरकार को सिंचाई के साधनों में उल्लेखनीय सुधार करने, नई टेक्नोलाजी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और बिजली एवं उर्वरक सब्सिडी को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के उपाय करने का सुझाव दिया गया है।जलवायु परिवर्तन से कृषि आय में 20-25 फीसदी की कमी आ सकती है
सर्वेक्षण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर सरकार कृषि को संकट से बाहर निकालना चाहती है और किसानों की आमदनी को दोगुना करना चाहती है तो उसे इस दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे। जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि आय में औसतन 15-18 फीसदी की कमी आएगी जबकि असिंचित क्षेत्रों में यह कमी 20-25 फीसदी तक पहुंच सकती है। कृषि आय के मौजूदा स्तरों के आधार पर यह कमी सालाना 3600 रुपये से ज्यादा हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए जरूरी है कि सिंचाई के बेहतर साधनों का इस्तेमाल किया जाए। इस दिशा में सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर टेक्नोलाजी को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा बिजली और उर्वरक पर अलक्षित सब्सिडी के बजाय प्रत्यक्ष वित्तीय मदद का तरीका अपनाया जा सकता है। सर्वेक्षण में सरकार से अनाज आधारित कृषि नीति की समीक्षा करने की भी वकालत की गई है।

जल संकट और भूजल के अंधाधुंध दोहन की पृष्ठभूमि में आर्थिक सर्वेक्षण में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार पर भी बल दिया गया है। मौजूदा समय में देश की कुल कृषि भूमि का 45 फीसदी ही सिंचित है। गंगा के मैदानी इलाकों और गुजरात एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों तक की सिंचाई सुविधाएं पहुंच पाई हैं। जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड जैसे राज्यों में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण उन पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर असर होने की आशंका है।
 

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