जल्दी ही सरकार बढ़ा सकती है GST की दरें
नई दिल्ली: रेवेन्यू की धीमी होती रफ्तार बढ़ाने को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की मौजूदा दरों में संशोधन पर विमर्श की प्रक्रिया तेज हो गई है। मंगलवार को इस संबंध में गठित केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के एक समूह की बैठक हुई जिसमें विभिन्न विकल्पों पर विचार हुआ। अभी समिति ने अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप नहीं दिया है लेकिन जिन विकल्पों पर विचार हुआ उनमें तंबाकू उत्पादों पर सेस की दर में वृद्धि करने का सुझाव भी शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में कई विकल्पों पर विचार हुआ। इनमें एक विकल्प जीएसटी की पांच परसेंट की दर को बढ़ाकर अधिकतम आठ परसेंट और 12 परसेंट को बढ़ाकर अधिकतम 15 परसेंट करने का सुझाव भी शामिल है। इसके अतिरिक्त एक सुझाव जीएसटी की दरों को 10 और 20 परसेंट के दो स्लैब निर्धारित करने का भी बैठक में विचार के लिए आया। बैठक में एक विकल्प पांच परसेंट के स्लैब को बढ़ाकर छह परसेंट करने का भी आया। एक सुझाव यह भी आया है कि ग्राहकों को खरीदारी के वक्त रसीद लेने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए लॉटरी सिस्टम शुरू किया जाए।
जल्दी ही अधिकारियों की यह समिति रेवेन्यू सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद रिपोर्ट पर विचार विमर्श और फिटमेंट और लॉ कमेटी के सुझावों के साथ यह जीएसटी काउंसिल के पास जाएगी। इसके बाद ही रिपोर्ट को अंतिम रूप देकर जीएसटी काउंसिल में प्रस्तुत किया जाएगा। काउंसिल ही जीएसटी की दरों के पुनर्गठन के संबंध में अंतिम फैसला लेगी। अभी जीएसटी के चार स्लैब पांच, 12, 18 और 28 परसेंट लागू हैं। 28 परसेंट जीएसटी के दायरे में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर सेस भी वसूला जाता है।
जीएसटी की दरों के पुनर्गठन पर विचार ने ऐसे समय में जोर पकड़ा है, जब जीएसटी से मिलने वाला रेवेन्यू अपेक्षित रफ्तार से नहीं बढ़ पा रहा है। यहां तक कि केंद्र के लिए कंपनसेशन फंड से राज्यों के रेवेन्यू में कमी की क्षतिपूर्ति करना भी मुश्किल हो रहा है। गौरतलब है कि अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 19 महीने के न्यूनतम पर चला गया था। इसके बाद ही जीएसटी काउंसिल ने रेवेन्यू में सुधार पर विचार करने के लिए अधिकारियों की समिति का गठन किया था।
बारह सदस्यों वाली इस समिति में पांच सदस्य केंद्र से और पांच राज्यों से हैं। समिति में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब के एसजीएसटी कमिश्नर को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इनके अलावा जीएसटी काउंसिल में संयुक्त सचिव और जीएसटीएन के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट को भी समिति का सदस्य बनाया गया है।
स्थायी समिति ने जताई चिंता
वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने रेवेन्यू के लक्ष्य के मुकाबले जीएसटी कलेक्शन धीमा रहने पर चिंता जताई है। मंगलवार को लोकसभा में प्रस्तुत समिति की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि लांच के दो साल बाद सरकार ने जीएसटी की दरों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की है। समिति ने सरकार से अपेक्षा की है कि वह जल्दी ही इस दिक्कत का समाधान निकालेगी ताकि रेवेन्यू बढ़ाने के अपेक्षित लक्ष्य को पूरा किया जा सके। समिति ने रेवेन्यू विभाग को इनपुट टैक्स क्रेडिट व्यवस्था का दुरुपयोग रोकने की दिशा में सतर्क रहने की हिदायत भी दी है।
प्रत्यक्ष कर संग्रह की रफ्तार भी धीमी
चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रत्यक्ष कर संग्रह की स्थिति तो खराब है ही, लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रह की स्थिति भी बहुत उत्साहजनक नहीं है। वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में महज 1.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सरकार के लिए राजकोषीय संतुलन साधने को लेकर नई चिंताएं पैदा होने के संकेत हैं। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में प्रत्यक्ष कर संग्रह के जो आंकड़े दिए हैं, वह पहली बार सरकार की तरफ से जारी किए गए हैं।
अप्रैल से नवंबर, 2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 5,56,490 करोड़ रुपये का रहा, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष (2018-19) की समान अवधि में यह संग्रह 5,47,711 करोड़ रुपये रहा था। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के बजट में व्यक्तिगत आयकर के लिए 5,59,000 करोड़ रुपये और कॉरपोरेट टैक्स के लिए 7,66,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। जाहिर है कि शेष बचे चार महीनों में सरकार को निर्धारित लक्ष्य का 60 फीसद से ज्यादा संग्रह करना है।