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जस्टिस आरएम लोढ़ा ने बीसीसीआई को लेकर कही इतनी बड़ी बात, बोर्ड के कुनबे में मच सकती हलचल

नई दिल्ली । पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कहा कि वे बीसीसीआई के काम करने में बहुत आजादी, उसकी जवाबदेही और पारदर्शिता लाना चाहते थे। पर कमेटी की सिफारिशों में बदलाव के साथ लागू करने के फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से निराशा हूं। ये कोर सिफारिशें थीं। यह सदस्यों के बीच शक्ति के संतुलन को लेकर थीं। उन्होंने कहा, कुछ बीमारियों को ठीक करने के लिए हमने इन सुधारों की सिफारिश की थी लेकिन इनमें बदलाव कर दिए गए।

उन्होंने कहा कि वह बीसीसीआई में एकाधिकार को खत्म करना चाहते थे। इन अधिकारियों के एकाधिकार को खत्म करने की सोच थी जो अब कमजोर हुई है क्योंकि ये अब 2 बार चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, यह निराशाजनक है कि सरकार इन स्वायत्त संस्थाओं में पीछे के दरवाजे से आ रही थी। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि इन संस्थाओं में सरकार का कोई रोल न हो। अब रेलवे, सेना और यूनिवर्सिटीज के पास भी वोटिंग का अधिकार है जो बीसीसीआई के मामलों में बड़ा बदलाव दिखाएगा।

यह सुधारों का एक पूरा पैकेज था जिसका उद्देश्य बीसीसीआई को एक बेहद मजबूत प्रशासनिक ढांचा देना था। यदि आप किसी इमारत से कुछ जरूरी ईंटे निकाल लेंगे तो उसकी मजबूती पर फर्क पड़ेगा और यही हुआ है। जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि निराश हूं क्योंकि हमने इतनी मेहनत की, काफी काम किया इन सिफारिशों को तैयार करने के लिए और सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 के इन्हें मान भी लिया। एक जज और कानून से जुड़ा होने के कारण मुझे यह जानने में काफी दिलचस्पी है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को बदल कैसे दिया। एक स्टेट एक वोट के मसले पर उन्होंने कहा, योजना थी कि सभी राज्यों को मौका मिले। दो पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात के पास 6 वोट जिससे पूरे चुनाव में बड़ा फर्क पड़ता था।

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