दिल्लीराजनीतिराष्ट्रीय

जस्टिस रंजन गोगोई ने भारत के प्रधान न्यायधीश के रूप में ली शपथ

  • जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई, जस्टिस रंजन गोगोई ने पूर्व CJI दीपक मिश्रा की जगह ली है। जस्टिस रंजन गोगोई 45वें मुख्य न्यायधीश बने हैं।

  • जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को भारत के प्रधान न्यायधीश के रूप में शपथ ली।

  • वह मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के बाद भारत के 46वें प्रधान न्यायधीश बने हैं।

  • दीपक मिश्रा का कार्यकाल दो अक्टूबर को समाप्त हो गया था और सोमवार को शीर्ष अदालत में उनके कार्यकाल का आखिरी दिन था।

  • जस्टिस गोगोई (64) सर्वोच्च अदालत में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले न्यायधीश हैं।

  • वह 17 नवंबर 2019 तक 13 महीने 15 दिनों तक के लिए कार्यभार संभालेंगे।

नई दिल्ली। जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई, जस्टिस रंजन गोगोई ने पूर्व सी.जे.आई. दीपक मिश्रा की जगह ली है। जस्टिस रंजन गोगोई 46वें मुख्य न्यायधीश बने हैं। जस्टिस गोगोई का कार्यकाल 13 महीने का होगा। इसके साथ ही वो पूर्वोत्तर से इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले चीफ जस्टिस हैं।
कौन हैं रंजन गोगोई?
18 नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा अर्जित की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उनका नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया था। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (63) जनवरी में उच्चतम न्यायालय के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे। उन्होंने कहा था, ‘‘स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं। ’’ उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवायोग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की जरुरत है।

Related Articles

Back to top button