जहरीली शराब से चली गई 80 लोगों की आंखों की रोशनी, अभी भी जिंदा हैं 10-12 लोग
अलीगढ़ : जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 95 लोगों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों के अनुसार जहरीली शराब पीने के चंद समय में ही करीब 80 लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी। इनमें से अधिकतर लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीपी सिंह ने भी शराब पीने से कई लोगों की आंखों की रोशनी जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि ऐसे 10-12 लोगों के बारे में जानकारी है, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई। बाकी जो मर गए उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।’ सीएमओ जिन 10-12 लोगों की बात कर रहे हैं वो अभी जिंदा हैं, जबकि मरने वालों के बारे में अभी उन्होंने स्थिति साफ नहीं की।
33 लोग गिरफ्तार, आबकारी आयुक्त समेत आठ अधिकारी निलम्बित
पुलिस ने इस मामले में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया है। शासन ने इस मामले में आबकारी आयुक्त पी गुरु प्रसाद समेत 8 अफसरों पर कार्रवाई की है। इनमें संयुक्त आबकारी आयुक्त, आगरा जोन रवि शंकर पाठक, उप आबकारी आयुक्त अलीगढ़ मंडल ओपी सिंह, सीओ गभाना कर्मवीर सिंह शामिल हैं। इसके अलावा जिला आबकारी अधिकारी धीरज शर्मा, आबकारी निरीक्षक राजेश यादव, प्रधान सिपाही अशोक कुमार, निरीक्षक चंद्रप्रकाश यादव, इंस्पेक्टर लोधा अभय कुमार शर्मा और सिपाही रामराज राना को भी निलम्बित किया जा चुका है।
वहीं विशेषज्ञों के अनुसार मिथाइल अल्कोहल पीना सबसे खतरनाक होता है। इसमें इंसान की आंखों की रोशनी और लिवर का डैमेज होना तय होता है। इसका सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है। दिमाग पर पड़ता है। यह सीधे तौर पर लिवर को भी प्रभावित करता है। मिथाइल अल्कोहल पीने पर मौत हो जाती है। अगर वह व्यक्ति किसी तरह बच भी गया तो उसकी आंखों की रोशनी जाना तय है। इंग्लिश और देसी शराब के सरकारी ठेकों की जो शराब होती है, उसे खास तापमान में डिस्टिल्ड किया जाता है। जिससे इसमें सिर्फ इथाइल अल्कोहल आए। बाकी जो कच्ची शराब या जहरीली शराब होती है, इसमें कोई तय तापमान नहीं होता। इसकी वजह से इसमें मिथाइल, इथाइल, प्रोपाइल सारे अल्कोहल आ जाते हैं।
मिथाइल अल्कोहल अगर किसी के शरीर में महज 15 मिली. से 500 मिली. तक पहुंच जाए तो उसकी मौत हो सकती है। डॉ. संतोष के मुताबिक, मिथाइल अल्कोहल शरीर में जाकर फॉर्मेल्डिहाइड में बदल जाता है। ये मिथाइल के मुकाबले तेज पॉइजन होता है। यह फॉर्मेलिन नाम से कमर्शियल यूज में लिया जाता है। यह लिवर का डिटॉक्सिफिकेशन का तरीका है।