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पहाड़ के घर-घर में गाए जाने वाले मां भगवती नंदा के जागरों को देश-विदेश तक पहुंचाने वाली बसंती बिष्ट को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
जागर को दुनियाभर में पहचान दिलाने वाली बसंती बिष्ट नाम प्रदेश की पहली प्रोफेशनल महिला जागर गायिका होने का भी रिकॉर्ड है।
घर की दहलीज लांघकर दुनियाभर के मंचों पर मां नंदा के जागरों की जीवंत प्रस्तुति देने वाली बसंती बिष्ट न केवल उत्तराखंडी लोक संस्कृति का चेहरा हैं बल्कि, महिला सशक्तिकरण की पहचान भी हैं।
मूलत: देवाल (जिला चमोली) के ल्वाणी गांव में जन्मी बसंती ने अपनी मां विरमा देवी से मांगल और जागर गायन सीखा। पहाड़ में नंदा को बेटी का रूप माना जाता है। भगवान शिव से उनके विवाह और मायके कैलास की यात्रा को कई सुंदर जागरों के रूप में पिरोया गया है।