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जानिए आखिर दिवाली पर क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना…

कार्तिक माह के आगमन के साथ ही दीपों के त्योहार दिवाली की तैयारियां शुरू हो जाती है। मान्यता है कि भगवान राम इसी दिन लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को दीपों से जगमग किया गया। तभी से यह त्योहार मनाया जाने लगा। लेकिन इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं। आइए जानते हैं कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की आराधना क्यों की जाती है…

भारतीय कालगणना के अनुसार 14 मनुओं का समय बीतने और प्रलय होने के पश्चात् पुननिर्माण और नई सृष्टि का आरंभ दीपावली के दिन ही हुआ है। नवारंभ के कारण कार्तिक अमावस्या को कालरात्रि भी कहा जाने लगा है।

इस दिन सूर्य अपनी सातवीं यानी तुला राशि में प्रवेश करता है और उत्तरार्द्ध का आरंभ होता है। इसीलिए कार्तिक मास की पहली अमावस्या ही नई शुरुआत और नव निर्माण का समय होता है।

जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है। कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है साथ ही शुभत्व का प्रतीक, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।

धार्मिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है। कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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